कटघोरा वनमंडल में 45.30 लाख रु. का डब्ल्यूबीएम सड़क वन अधिकारियों के भ्रष्ट्राचार की चढ़ी भेंट, क्रेशर गिट्टी की बजाय जंगल से खोदकर बिछाया बोल्डर व मिट्टी-मुरुम….

कोरबा/कटघोरा-चैतमा :- जंगल मे मोर नाचा, किसने देखा..? यह कहावत वनमंडल कटघोरा में सटीक बैठता है, जहां पूर्व के तथा वर्तमान वनमंडलाधिकारी राज में अधीनस्थ अधिकारी एवं कर्मचारी बेलगाम होकर मनमाने काम कर रहे है और शासन का खजाना वन सड़कों, तालाब, डबरी सहित अन्य निर्माण के नाम पर फर्जी बिल बाउचर के सहारे खाली कर अपना झोली भर रहे है। परिणामस्वरूप सरकारी धन का दुरुपयोग होने के साथ- साथ सरकार की छवि भी खराब होने के रूप में सामने आने लगा है। चैतमा परिक्षेत्र में भी डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण गत 2020- 21 में कराया गया, जिसमे क्रेशर गिट्टी के स्थान पर जंगल के ही बोल्डर और मिट्टी- मुरुम का उपयोग कर 45 लाख 30 हजार के वन सड़क का निर्माण करा लिया गया।

वन परिक्षेत्र चैतमा अंतर्गत कक्ष क्रमांक पी- 71 एवं पी- 72, केराकछार से चटुवाभौना वनमार्ग में कैम्पा मद से 03 किलोमीटर सड़क बनाने 45.30 लाख रुपए की मंजूरी गत 2020-21 में मिली। जहां तत्कालीन डीएफओ शमा फारुखी के संरक्षण में पाली उप वनमंडल के एसडीओ, रेंजर एवं डिप्टी रेंजर ने भ्रष्ट्राचार का मोर जमकर नचाया। डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण में 40 एमएम ग्रेनाइट या फिर मजबूत क्रेशर गिट्टी का उपयोग होना था, किन्तु जंगल से तोड़े गए अनसाइज पत्थरों को बिछाकर तथा आसपास वनभूमि से ही मिट्टी- मुरुम खोदकर बिना रोलर चलवाए सड़क निर्माण का काम पूर्ण करा लिया गया, जिसे देखकर नही लगता कि 45.30 लाख का आधा भी खर्च किया गया होगा, जबकि अधिकारियों द्वारा उक्त सड़क निर्माण की जो राशि आहरण की गई होगी उसमे क्रेशर गिट्टी व मुरुम का लंबा चौड़ा ट्रांसपोर्टिंग दिखाकर तथा रोलर चलवाने का भुगतान लिया गया होगा। ऐसा भ्रष्ट्राचार चैतमा रेंज में ही नही वरन कटघोरा वनमंडल के सभी रेंजो में डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण के दौरान किया गया है। इस वनमंडल अंतर्गत वनमार्गों में कराए गए सभी सड़क निर्माण की यदि शासन स्तर पर निष्पक्ष जांच कराई जाए तो करोड़ों के भ्रष्ट्राचार का खुलासा हो सकता है। लेकिन ऐसा नही हो पाने के फलस्वरूप कटघोरा वनमंडल में भ्रष्ट्राचार चरम पर हावी है।

ये है 45.30 लाख के डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण के जिम्मेदार
 रेंजर – जिसने पूरे काम को अंजाम दिया। सड़क का पूरा प्रोजेक्ट इन्ही के देखरेख में हुआ।

एसडीओ – जिन्हें काम का वेरिफिकेशन करना था, लेकिन उन्होंने ये काम भी रेंजर के ऊपर ही छोड़ दिया।

तत्कालीन डीएफओ – जिन्होंने डब्ल्यूबीएम के प्रोजेक्ट को अंतिम स्वीकृति दी और राशि स्वीकृत करवायी एवं सड़क का निरीक्षण किये तथा करवाए बिना सारे भुगतान की फाईल पास कर दी।

✍️साकेत वर्मा /जिला प्रतिनिधि कोरबा