ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल पत्थलगांव विकासखण्ड के जामजूनवानी प्राथमिक स्कूल में बच्चें पढ़ने पहुच गए यहां तक कि पत्थलगांव के जनपद सिईओ भी पहुँच गए पर स्कूल के शिक्षक नही पहुचे स्कूल था बन्द…

पत्थलगांव ✍️जितेन्द्र गुप्ता

ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल पत्थलगांव विकासखण्ड के जामजूनवानी प्राथमिक स्कूल में बच्चें पहुच गए यहां तक कि पत्थलगांव के जनपद सिईओ भी पहुँच गए पर स्कूल के शिक्षक नही पहुचे स्कूल था बन्द

ये हाल है ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों का जब पत्थलगांव जनपद सीईओ निरीक्षण में ग्राम जाम जुनवानी के प्राथमिक स्कूल पहुचे तो स्कूल के बाहर काफी बच्चे स्कूल खुलने और शिक्षकों के आने की प्रतीक्षा रत दिखे पत्थलगांव जनपद सीईओ संजय सिंह ने बताया कि बुधवार को 10 बज कर 20 मिनट में जाम जुनवानी के प्राथमिक स्कूल निरीक्षण करने पहुचा तो स्कूल बंद था और स्कूल के बच्चे वही बाहर में मिले इस बात की सूचना सबंधित विभाग के अधिकारियों को दे दी गई है। स्कूल के शिक्षको को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए शासन के नियमो का पालन करना चाहिए इस तरह स्कूल की ब्यवस्था से बच्चो की पढ़ाई प्रभावित होती है।


अब आप समझिये की शासन जहां करोड़ो रूपये स्कुलो में खर्च कर रही है। वो इसलिय की हर ग्रामीण स्तर के बच्चो को पढ़ाया जाए कोई भी बच्चा स्कूल जाने से न छूट पाए पर उन स्कुलो को चलाने वाले शिक्षकों की अपनी अलग ही राय है। मस्त अपने मन से स्कूल जाते है या नही भी जाते है। कौन देखने आता है। वेतन तो मिलेगा ही बच्चो को पढाये या न भी पढाये क्या फर्क पड़ता है। तो इस तरह कैसे पढाई का स्तर बेहतर हो पायेगा सवाल बड़ा है।

जाम जुनवानी प्राथमिक स्कूल के जिन शिक्षको के कंधों पे देश के नोंनिहलो को पढा कर बड़ा बनाने की जिम्मेदारी मिली थी वे है खिस्तोफर लकड़ा, दीपक कुमार मिंज, उपेंद्र सिंह ठाकुर जो अपने दायित्वों का निर्वहन करते नही देखे गए

शासन प्रशासन को इसका हल समय रहते निकालना होगा नही तो इसी तरह शिक्षको के मनमानी रवैये से स्कूली ब्यवस्था पे प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है।