कौन है रतन लाल गुप्ता जिसका नर्सिंग होम जिला अस्पताल के एक डॉक्टर के नाम है, रश्मि नर्सिंग होम बनी असुलझी पहेली….

 

 

* सील हुए नर्सिंग होम में है कई दाओं पेच,रश्मि नर्सिंग होम बनी असुलझी पहेली।

* रश्मि नर्सिंग होम में जिस अधिकारी की भूमिका है संदिग्ध उसे ही सौंप दिया गया जांच का जिम्मा क्यों?

* जच्चा-बच्चा मौत के बाद रश्मि नर्सिंग होम पर उठ रहे कई सवाल जिसका जवाब सीएमएचओ के पास भी नहीं।

* रश्मि नर्सिंग होम वैध है या अवैध इस पर चुप्पी क्यों साध है प्रशासन?

* यदि जिला चिकित्सालय में पदस्थ एक महिला डॉक्टर का रश्मि नर्सिंग होम से कोई वास्ता नहीं तो फिर कैसे वहां कर रहे थी इलाज?

*नोडल अधिकारी दीपक जायसवाल के जांच टीम में शामिल से जाँच प्रभावित होने का संदेह।

* परिजनों के कहने से पुलिस अधीक्षक ने जांच कर रहे उप निरीक्षक को बदला,परिजनों को निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया।

* रश्मि नर्सिंग होम के नाम से संचालित लेकिन संचालक का नाम का उल्लेख कहीं नहीं क्यों? वॉल पेंटिंग के जरिए जम के प्रचार प्रसार।

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर। जिला चिकित्सालय सूरजपुर से कुछ दूरी पर संचालित रश्मि नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा मौत के बाद कई सवाल खड़े हो गए, जिसका जवाब मौजूदा प्रशासन व जिला चिकित्सालय के मुख्य अधिकारी के पास भी नहीं है, रश्मि नर्सिंग होम अवैध है इस पर भी सवाल उठने लगे हैं, रश्मि नर्सिंग होम की बात की जाए तो जो जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मिली है उसके अनुसार रश्मि नर्सिंग होम का संचालक रतन लाल गुप्ता है पर इस शख्स को सूरजपुर में कोई नहीं जानता जो भी जानता है वह तो यही जानता है की रश्मि नर्सिंग होम जिला चिकित्सालय में पदस्थ एक महिला डॉक्टर का है, क्योंकि उसी के नाम से यह नर्सिंग होम काफी दिनों से चल रहा है पर प्रथम दृष्टि में यह नर्सिंग होम अब अवैध दिखने लगा है, अब यदि प्रशासन सही तरीके से इस नर्सिंग होम की जांच करती है तो रतन लाल गुप्ता के ऊपर भी कार्यवाही कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि उन्हीं के नर्सिंग होम में जच्चा बच्चा का इलाज के उपरांत मौत हुई है मृतक के परिजन इलाज करने वाले डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं पर सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि वहां पर इलाज करने वाले डॉक्टर भी जिला चिकित्सालय में पदस्थ है यह भी बड़ा सवाल यह है कि जब वह डॉक्टर जिला चिकित्सालय में पदस्थ है तो फिर अपने कार्यकाल के दौरान रश्मि नर्सिंग होम में क्यों महिलाओं की डिलीवरी व इलाज करती है अब जब घटना घट गई है इसके बाद नर्सिंग होम सील हो चुका है और रश्मि नर्सिंग होम के अवैध होने की पुष्टि भी होने लगी है। रश्मि नर्सिंग होम मामले में जिसे जांच का जिम्मा दिया गया है वह खुद संदिग्ध है और जांच को प्रभावित कर सकते हैं इसके बावजूद उन्हें जांच का जिम्मा देना कितना सही है यह भी एक बड़ा सवाल है क्या जिला चिकित्सालय के डॉक्टर इस में शामिल है इस वजह से उसे बचाने का प्रयास होगा या फिर सही में पीड़ित को न्याय मिलेगा?

* रश्मि नर्सिंग होम व जिला चिकित्सालय का क्या है रिस्ता?- इस समय शहर में रिश्ता क्या कहलाता है की तरह एक बड़ा सवाल है कि आखिर रश्मि नर्सिंग होम व जिला चिकित्सालय का क्या रिश्ता है? कि जिला चिकित्सालय के मरीज रश्मि नर्सिंग होम भेजे जाते थे जहां पर हजारों में गरीबों का बिल बना कर उनसे पैसे लूट जाता था और साथ ही जिला चिकित्सालय की डॉक्टर जिला चिकित्सालय में बेहतर सुविधा देने के बजाय नर्सिंग होम में बेहतर सुविधा देना उचित समझती थी, ऐसे तमाम तरह के सवाल इस समय शहर में उठ रहे हैं जिसका जवाब सीएमएचओ भी नहीं दे पा रहे हैं अब जब मामला फस गया है तो सभी की बोलती बंद है और मामले में चुप्पी साधना ही जरूरी समझ रहे हैं, चुप्पी भी इसलिए साधे हुए हैं कि जैसे तैसे इस मामले को पटाक्षेप किया जाए पर पटाक्षेप कैसे होगा जब मामला अपराधिक है पर अपराध की श्रेणी में आता है तमाम तरह के सवाल खड़े हैं और खड़े भी क्यों ना हो एक स्वस्थ जच्चा-बच्चा की जान गई है और आरोप भी परिजनों का बड़ा है।

* जिला चिकित्सालय में इलाज कराने वाले को नहीं मिलता रक्त पर रश्मि नर्सिंग होम कैसे आसानी से पहुंच जाता है रक्त? – जिला चिकित्सालय में कई गरीब अपने इलाज के लिए पहुंचते हैं और जब भी रक्त की जरूरत महसूस होती है तो ब्लड बैंक से उन्हें रक्त ना होने का जवाब मिलता है पर वही जब भी रश्मि नर्सिंग होम में ब्लड की जरूरत होती है तो वहां जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक से रक्त पहुंच जाता है आखिर इसकी वजह क्या है? क्या ब्लड बैंक व नर्सिंग होम का कोई गहरा रिश्ता है या फिर ब्लड बैंक में काम करने वाले को भारी भरकम लाभ होता है लाभ की कहानी भी इस समय चर्चा का विषय है।

* क्या अवैध संचालित हो रहा था नर्सिंग होम? – सील हुए रश्मि नर्सिंग होम की वैधता पर भी सवाल खड़े हो गए सवाल यह है कि क्या नर्सिंग होम अवैध है और अवैध तरीके से संचालित हो रहा था यदि अवैध तरीके से संचालित हो रहा था तो फिर प्रशासन आंख मूंदे क्यों बैठा था प्रशासन के नक के नीचे अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम की जांच क्यों नहीं हो रही थी और कैसे जिला चिकित्सालय का डॉक्टर उस नर्सिंग होम में इलाज कर रहा था जिसके इलाज के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई? क्या वह डॉक्टर नहीं है दोषी या फिर दोस्ती को निर्दोष बनाने की होगी जांच? जानकारों की मानें तो यदि रश्मि नर्सिंग होम की निष्पक्ष जांच होगी तो अवैध ही पाया जाएगा और डॉक्टर भी दोषी होगी और जिला प्रशासन भी दोषी होगा और इस नर्सिंग होम के संचालक भी दोषी है कहीं न कहीं जिला चिकित्सालय भी दोषी है मुख्य चिकित्सा अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध है और वही नोडल अधिकारी भी इसके सागिर्द हैं ऐसी बात सामने आ रहे हैं।

* 3 अप्रैल को जिला चिकित्सालय में लाकर भर्ती कराया पर 4 अप्रैल की शाम डॉ रश्मि के द्वारा क्यों बोला गया?- पिता का आरोप इस संबंध में मृतिका के पिता महेंद्र कुमार साहू ने कहा कि मैं अपने लड़की को 3 अप्रैल को जिला चिकित्सालय में लाकर भर्ती कराया था फिर 4 अप्रैल को शाम में डॉ रश्मि के द्वारा बोला गया कि यहां नहीं हो पाएगा आप हमारा प्राइवेट नर्सिंग होम में ले लाइए हमारे यहां सारे सुविधाएं उपलब्ध हैं और हम इसके लिए गारंटी के साथ हम नॉर्मल डिलीवरी करवा दूंगी उन्होंने रेट बताया नॉर्मल डिलीवरी का 15 हजार रुपए और ऑपरेशन का 35 हजार से 40 हजार तक है फिर हम लोग उनके नर्सिंग होम में लेकर गए वहां भी हम लोग ने डॉक्टर से पूछा कि अंबिकापुर ले जाए तो उन्होंने कहा की अंबिकापुर ले जाने की जरूरत नहीं है अंबिकापुर से बेहतर इलाज हमारे नर्सिंग होम में हो जाएगा और खर्चा भी कम लगेगा।डॉक्टर को 10 हजार रुपए भी दिए इसके बाद जाकर इलाज चालू की है फिर 5 अप्रैल को सुबह ऑपरेशन थिएटर मैं ले गए फिर 10 बजे जानकारी दिया गया कि बच्चा तो नहीं बचा लेकिन मां स्वस्थ है और बोली कि है आप उसका मां स्वास्थ्य उसको कुछ नहीं होगा फिर हम लोगों को 3:00 बजे दोपहर में मिलने दिया गया और हमारी लड़की स्वास्थ्य थी एकदम ठीक की बात कर रही थी। लेकिन इसी बीच हालत गंभीर हो गई इस स्थिति को देखते हमने एम्बुलेंस भी बुला लिया था पर डॉक्टर ने मना कर दिया परिणामस्वरूप हमने दोनो को खो दिया।

* जांच टीम बना दी गई है पर क्या निष्पक्ष जाँच होगी?- संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर एस ने कहा कि प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था जहां बच्चे मां दोनों की मौत हो गई है इसमें हम जांच टीम बनाएंगे और जांच के बाद जो भी कमियां मिलेगी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। पर सवाल है की डॉ भी उन्ही की अधिनस्त है क्या ऐसे में जांचा निष्पक्ष होगी।
नोडल अधिकारी की भूमिका संदिग्ध- इस संबंध में जब नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ दीपक जायसवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि टेंपरेरी परमिशन है फिर उनसे पूछा गया कि क्या टेंपरेरी परमिशन में ऑपरेशन करने का अधिकार है तो उन्होंने फोन काट कर दिया फिर कई बार संपर्क किया गया फिर फोन रिसीव नहीं किए। ऐसा लगा की यह भी इस मामले में उतने ही दोषी जितना की नर्शिग होम की संचालक क्यों की यह किसी भी नर्सिंग होम में जाँच करने नहीं जाते है।

* नर्सिंग एक्ट के उल्लंघन-  इधर जिला मुख्यालय में सरकारी डाक्टर खुले आम नर्सिंग एक्ट का उल्लंघन कर रहे है जिस पर कोई अंकुश नही है। नियमानुसार न तो फीस की रसीद दी जा रही और न यह बताया जाता कि किस बीमारी के उपचार का रेट क्या है। यही नही अस्पताल के टाइम का भी ध्यान नही दिया जा रहा। इसके आलावे अन्य कई नियम है जिसका पालन नही किया जा रहा है। इस पर अधिकारी भी खामोश है।

* दफन किये गए नवजात के शव को प्रशासन की टीम ने निकाल कर कराया पीएम-  शहर के निजी नर्सिंग होम में जच्चा बच्चा मौत के मामले में आज दफन किये गए नवजात के शव को प्रशासन की टीम ने निकाल कर पीएम कराया है। पूरे मामले में परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। इसकी शिकायत पुलिस से भी की गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इधर प्रशासन ने नर्सिंग होम को सील कर दस्तावेज आदि जप्त कर लिया है। दूसरी ओर बेहद ग़मगीन माहौल में मृतका पूजा साहू का अंतिम संस्कार भुनेश्वरपुर के बाद मामले की जांच कर रही कोतवाली पुलिस ने परिजन, प्रशासन सहित डॉक्टरों की उपस्थिति में दफन किये गए नवजात निकाल कर पीएम के लिए भेजा है। जहाँ पर दो डॉक्टरों की टीम ने नवजात का पीएम कर शव को परिजनों की सपुर्द किया कर दिया है। परिजन नवजात को दफन कर कोतवाली थाने पहुचकर अपराध दर्ज करने की मांग कर रहे है।

* 5 सदस्य गठित जांच टीम में एक ऐसे व्यक्ति को शामिल किया गया जिसकी भूमिका है मामले में संदिग्ध है –  जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 5 सदस्य टीम बनाई गई है जिसमें डॉ. आरके त्रिपाठी, डॉ. दीपक जायसवाल, डॉ. शैलेश गुप्ता, डॉ गौतम सिंह, जे.आर सूरता शामिल किए गए है इसमें से एक नाम डॉ. दीपक जायसवाल का है जिसकी भूमिका रश्मि नर्सिंग होम मामले में संदिग्ध है, खुद यह एमबीबीएस है डॉक्टर है और नोडल अधिकारी बनकर मजे काट रहे हैं जबकि नियम है की एमबीबीएस डॉक्टर को नोडल अधिकारी नहीं बनाना है फिर भी नोडल अधिकारी किस जुगाड़ से बने हैं यह तो यही जाने, इनके जुगाड़ भी इतने तगड़े हैं कि यह इलाज करें या ना करें पर डॉक्टरों की सैलरी बनाने में इन्हें लाभ मिलता है और यह अपने आपको काफी पकड़ वाला डॉक्टर भी मानते हैं, इनसे पत्रकारों ने भी खूब सवाल किए पर जवाब देने के लिए उन्होंने फोन ही नहीं उठाया और रश्मि नर्सिंग होम में ब्लड बैंक से रक्त जाता था उसमें इनका नाम सामने आ रहा है अब जिसका नाम ही सामने आ रहा है उसे इस टीम में रखकर इस जांच को प्रभावित करने का प्रयास है ऐसा माना जा रहा है।

* कराई जा रही है जांच सीएमएचओ-  मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सिंह ने कहा कि 5 सदस्य टीम ने जांच कर अपनी रिपोर्ट दे दी है और बाकी जांच अभी बाकी है इसके बाद निश्चित थी दोषियों को पर कार्रवाई की जाएगी,यह भी कहा कि जाँच टीम में आधा आया पूरा आना बाकि है परिजनों का बयान का बयान हो गया है जल्द ही पूरी रिपोर्ट आएग।

* पीएम रिपोर्ट व जांच रिपोर्ट नहीं आया है- इस संबंध में कोतवाली थाना प्रभारी प्रकाश राठौर ने कहा कि अभी पीएम रिपोर्ट नहीं आई है और स्वास्थ्य विभाग में जांच कर हमको नहीं दिया है हम परिजनों का बयान ले लिए हैं और आगे के लिए विवेचना जारी है