राज परिवार में जन्में स्वर्गीय डॉ. रामचंद्र सिंहदेव ने फकीर का जीवन जिया : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

 

* मुख्यमंत्री ने प्रदेश के प्रथम वित्त मंत्री कोरिया कुमार 
डॉ रामचंद्र सिंहदेव की प्रतिमा का किया अनावरण.

* बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कोरिया कुमार का पूरा जीवन
छत्तीसगढ़ के विकास को रहा समर्पित. 

* डॉ सिंहदेव की जयंती अवसर पर मुख्यमंत्री ने साझा की राजनीतिक और व्यक्तिगत स्मृतियां.

* समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की.

* मुख्यमंत्री ने 10.99 करोड़ रुपए की लागत के विकास कार्यों का किया भूमिपूजन.

 

कोरिया,

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रदेश के प्रथम वित्त मंत्री, कोरिया कुमार के नाम से विख्यात स्वर्गीय डॉ रामचंद्र सिंहदेव की जयंती अवसर पर कोरिया जिला के मुख्यालय बैकुंठपुर के घड़ी चौक में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। आज यह चौक कोरिया कुमार को समर्पित किया गया। मुख्यमंत्री ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश के प्रथम वित्त मंत्री कोरिया कुमार  डॉ रामचंद्र सिंहदेव की प्रतिमा का किया अनावरण

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने स्वर्गीय डॉ. रामचंद्र सिंहदेव को याद करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन छत्तीसगढ़ को समर्पित रहा। उनके चिंतन के केंद्र में छत्तीसगढ़ और कोरिया हमेशा से रहा और यहां के विकास के बारे में वे हमेशा चर्चा करते रहे। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। श्री बघेल ने कहा कि कोरिया कुमार डॉ. सिंहदेव ने भले ही राजपरिवार में जन्म लिया पर उन्होंने एक फकीर का जीवन जिया। उनका जीवन बेहद सादगीपूर्ण रहा। वे  आजीवन मितव्ययी रहे। डॉ. रामचंद्र सिंहदेव सहज, सरल, मिलनसार, हंसमुख व्यक्तित्व के धनी थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह आदिवासी अपनी आवश्यकतानुसार ही प्रकृति से लेते हैं, संग्रहण करके नहीं रखते, उसी तरह कोरिया कुमार अपने जीवन में रहे। मुख्यमंत्री ने अपने पीएचई मंत्री के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उस दौरान उनके वाटर रिचार्जिंग के काम का अध्ययन करने स्वयं डॉ सिंहदेव क्षेत्र के निरीक्षण के पर पहुंचे थे। उनकी विशेषज्ञता जलप्रबंधन और सिंचाई परियोजनाओं में रही। डॉ सिंहदेव के साथ उनके पारिवारिक संबंध भी रहे। वे हमेशा बच्चों से घुल-मिल कर रहे।

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कोरिया कुमार का पूरा जीवन  छत्तीसगढ़ के विकास को रहा समर्पित

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 1967 में वे विधायक और मंत्री बने तब आधे विभाग उनके पास थे। योेजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने उल्लेखनीय सेवायें दीं। जब छत्तीसगढ़ बना तो वे प्रदेश के पहले वित्त मंत्री बने। आज छत्तीसगढ़ की जो प्रगतिशील अर्थव्यवस्था है उसकी नींव में उनकी सोच और विचार हैं। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का जो आधार रखा, उसी पर आज छत्तीसगढ़ तेजी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ सिंहदेव हमेशा कहते कि मुझे कुमार साहब मत कहो, अंकल कहो। ऐसे सादगी पसंद और मिलनसार व्यक्ति का ना रहना निश्चित रूप से हम सभी के लिए अपूरणीय क्षति है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने श्रम कानून बनाने और मध्यान्ह भोजन योजना में कोरिया कुमार के पिता स्वर्गीय श्री रामानुज प्रताप सिंहदेव के योगदान का भी उल्लेख किया, जो आज पूरे देश में लागू है। उन्होंने कहा कि कोरिया कुमार का स्नेह और दुलार सदैव उनके साथ रहा। मैं आज इस अवसर पर उस महान व्यक्तित्व को, जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रदेश के विकास को समर्पित किया, उन्हें सादर नमन करता हूँ।

समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर जिले में लगभग 10.99 करोड़ रुपए की लागत के विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन किया, इन कार्यों में नगरपालिका परिषद बैकुंठपुर हेतु 7.63 करोड़ रूपये, नगरपालिका परिषद शिवपुर-चरचा हेतु 2.86 करोड़ रूपये के विभिन्न विकास कार्यों सहित 50 लाख की लागत से  बैकुण्ठपुर में सर्व आदिवासी समाज का सामुदायिक भवन शामिल है।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत, गृह, लोक निर्माण एवं जिले के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू, स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव एवं बैकुंठपुर विधायक श्रीमती अंबिका सिंहदेव, सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं भरतपुर-सोनहत विधायक गुलाब कमरो एवं संचालक, सीजीएमएससी व मनेन्द्रगढ़ विधायक डॉ विनय जायसवाल सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या में आम जन उपस्थित रहे।

* कुशल राजनीतिज्ञ, जलप्रबंधन में विशेषज्ञता और फोटोग्राफी में गहन रुचि डॉ सिंहदेव की पहचान.

’’कोरिया कुमार’’ के नाम से विख्यात स्वर्गीय डॉ. रामचंद्र सिंहदेव का जन्म जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में 13 फरवरी 1930 को हुआ। डॉ सिंहदेव 1967 से 2000 तक अविभाजित मध्यप्रदेश में विधानसभा के सदस्य, सिंचाई मंत्री और राज्य योजना मंडल के उपाध्यक्ष रहे। मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने के पश्चात वे राज्य के पहले वित्तमंत्री बने। उनकी स्कूली शिक्षा राजकुमार कॉलेज रायपुर और उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई, जहां से उन्होंने रसायनशास्त्र में एमएससी और समाजशास्त्र में पीएचडी की उपाधियां प्राप्त कीं। उनकी अभिरुचि फोटोग्राफी, पुस्तक लेखन में रही। सिंचाई, योजना, आर्थिकी के उन्नत स्वरूपों पर उनका मौलिक चिंतन रहा, जनहित के मुद्दों पर आयोजित विभिन्न राष्ट्रीय सेमीनार में उनकी हमेशा सक्रिय हिस्सेदारी रही। जर्मनी स्थित अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा कुशल जलप्रबंधन हेतु उन्हें सम्मानित भी किया गया।