कछार के शिव मंदिर में नवरात्र पर्व की धूम…

पत्थलगांव ✍️जितेन्द्र गुप्ता

कछार के शिव मंदिर में नवरात्र पर्व की धूम

मां आदिशक्ति के पावन पर्व नवरात्रि अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। तीन देवियां महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती तीनों देवियों की तीन तीन दिन और तीन ही गुण भी होते हैं। सात्विक राजस और तामस और ऐ तीनों देवियां तीनों प्रकार के तापो से हम सभी भक्तों को मुक्त करातीं है। हमारे रामचरितमानस मानस में भी गोस्वामी जी ने शक्ति स्वरूपा को सभी भक्तों की सुखी जीवन के लिए प्रार्थना किया है। आया है। देवि पूजी पद कमल तुम्हारे सुर नर मुनि सब होइ सुखारे। यदि हम पुरी निष्ठा के साथ अपने आप को इश्वर के चरणों में समर्पित करते हैं। तो इश्वर भी हमारी पूजा पाठ स्वीकार करते हैं। परन्तु आज के इस समय में कलयुग के प्रभाव के कारण बहुत ही भक्तों का मन विचलीत होता रहता है। आज कल कोई दान करता है। तो बोल देता है। हमने दान दिया आप ए क्यो नहीं सोचते कि भगवान ने आपको उस लायक बनाया कि आप दान दें सकें दुसरो को भगवान क्यों नहीं चूने अतः आपने दान नहीं दिया आप ये कहे भगवान का दिया हुआ अन्न धन था जो मैने दिया। आप आरती गाते हैं तो बोलते हैं। न तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेंरा गाते जरूर है। पर भुल जाते हैं। तभी तो बोलते हैं। मैं ने दान दिया मय शब्द जब बोलते हैं। तो आप ये भी गा सकते हैं। मेरा सबकुछ अर्पण क्या लागे तेरा। परन्तु गा नहीं सकते।

पत्थलगांव के कछार शिव मंदिर  में पूजन करने आये बनारस से चन्द्रेश्वर मिश्रा महाराज ने बताया कि क्या तू लेकर आया है। क्या तू लेकर जायेगा खाली हाथ आया है। खाली हाथ जायेगा अतः इसके अनुसार आप सभी भक्तों से निवेदन है। कि आप सभी अपने आप को माता रानी के चरणों में इश्वर के चरणों में समर्पित करते हुए धर्म करने से यहीं आप के साथ जायेगा कलयुग केवल नाम आधारा और भागवत कथा में भी आया है। हरि नाम केवलं कलयुग में केवल नाम संकीर्तन से भगवान भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाते हैं जय माता दी।