जिला पंचायत सदस्य बोले- समाज को मजबूत करने के लिए लड़कियों को होना होगा मजबूत…..

 

 

* पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों के प्रशिक्षण का हो रहा आयोजन.

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर/ कलेक्टर सुश्री इफ्फत आरा के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रबेस सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन में पंचायत स्तर पर चिन्हांकित ग्रामों में पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के कार्य एवं दायित्व व बच्चों के संरक्षण और उनसे संबंधित कानूनों की जानकारी प्रदान करने के लिए शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। 27 जून को ग्राम पचिरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रांगण में शिविर का आयोजन क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य बिहारी लाल कुलदीप की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बिहारी लाल कुलदीप ने कहा कि इस प्रकार के शिविर से ग्रामीणों को काफी लाभ होने वाला है। बच्चों को अपने अधिकार के संबंध में जानकारी मिलती है। कैसे बच्चों का लालन-पालन लोग करें इसकी भी शिक्षा मिलती है। उन्होंने कहा कि यदि लड़कियां (किशोरी बालिकाएं) शिक्षित एवं जागरुक हो गये तो समाज एक दम ठीक हो जायेगा। उन्होंने अशिक्षा के कारण गांव में बच्चों के साथ कई प्रकार के अत्याचार हो रहे हैं। हम सभी जनप्रतिनिधी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्रामीण महिलाओं की जिम्मेदारी है कि हम सब मिलकर बच्चों को संरक्षित और सुरक्षित रखें।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने बताया कि बच्चों के लिए किशोर न्याय अधिनियम बनाया गया है। जिसमें संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चें एवं विधि विरुद्ध बच्चों के लिए नियम बनाए गए हैं। संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को बाल कल्याण समिति सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है और विधि विरुद्ध बच्चों को सामान्य कोर्ट में नहीं बल्कि किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत किया जाता है। बच्चों को लैंगिक अपराधों से बचाने के लिए लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) बनाया गया है। इसमें कड़े प्रावधान दिये गये है। बच्चों को गलत दृष्टि से देखना, रास्ता रोकना, पीछा करना, गलत इशारे करना, गलत इरादे से छूना ये सारे अपराध की श्रेणी में आते है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अन्तर्गत यदि कोई नाबालिक का विवाह होता है तो विवाह करने वाले, अनुमति देने वाले, सहयोग करने वाले एवं शामिल होने वाले सभी के उपर अपराध कायम होगा और इस अधिनियम के अन्तर्गत 2 वर्ष की सजा या 1 लाख रुपये का दण्ड या दोनों की सजा हो सकती है। इसलिए सभी बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य है। शिक्षा से ही सारे अंधकार को दूर किया जा सकता है। बच्चों को अधिकार दिलाने के लिए कोई भी बच्चा स्कूली शिक्षा से वंचित ना हो ये सब भी हम सभी की जिम्मेदारी है।

कार्यक्रम में यूनिसेफ के जेपी वर्मा ने बच्चों को स्कूल भेजने और उनसे हमेशा बात करते रहने की वकालत की उन्होंने कहा कि बच्ची को समग्र शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। सखी वन स्टाप सेंटर से सुश्री शबनम बानों ने सखी वन स्टाप सेंटर के सुविधाओं के संबंध में विस्तृत चर्चा की उन्होंने बताया कि कोई भी महिला से बुजुर्ग कोई भी उम्र के महिलाओं के संरक्षण का काम सखी वन स्टाप सेंटर में किया जाता है। सखी वन स्टाप सेंटर में काउंसलिंग की व्यवस्था आश्रय की व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था एवं कानूनी सलाह की व्यवस्था एक छत के निचे दी जाती है। इस हेतु टोल फ्रि नं 181 में संपर्क किया जा सकता है। उपस्थित महिलाओं के जिज्ञासा का समाधान जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने किया। कार्यक्रम में आस-पास के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, ग्रामीण महिला, किशोरी बालिकाएं उपस्थित रही।