विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपने जल -जंगल -जमीन -पर्यावरण और जीवन की रक्षा के लिए हसदेव को बचाने का लिया संकल्प, अडानी के उत्पादों का किया जायेगा बहिष्कार…..

 

 

 

उदयपुर

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हसदेव अरण्य के परसा कोल ब्लॉक प्रभावित ग्राम हरिहरपुर में आन्दोलन स्थल पर संकल्प सम्मलेन का आयोजन किया गया जिसमे हसदेव के स्थानीय ग्रामीणों सहित पूरे प्रदेश से हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए l
राजनांदगांव और बिलासपुर के सैकड़ों युवा “हसदेव बचाओ” मोटरसाइकिल रैली के रूप में हसदेव अरण्य के सम्मेलन में शामिल हुए l रास्ते में जगह जगह रैली का स्वागत और हसदेव अरण्य को बचाने का संकल्प लिया गया l

आयोजित संकल्प सम्मलेन में पूरे प्रदेश से पहुचे विभिन्न सामाजिक संगठनो, पर्यावरणीय कार्यकर्ताओं ने हसदेव को बचाने चल रहे आन्दोलन को समर्थन देते हुए कहा कि हमारे लिए जीवन प्रदान करने वाले इन जंगलो को आज कार्पोरेट मुनाफे और तथाकथित विकास के नाम पर ख़त्म किया जा रहा है l प्रकृति के साथ जीवन जीने वाले आदिवासियों जिनकी पूरी आजीविका और संस्कृति ही जंगल है उन्हें इसे बचाने के लिए आन्दोलन करना पढ़ रहा है, जबकि जंगल -जमीन और आदिवासियों के संरक्षण का दायित्व राज्य व केंद्र सरकारों का है l दुखद रूप से ये सरकारें अपनी संवैधानिक भूमिका का निर्वहन करने की बजाए कार्पोरेट के एजेंट की भूमिका निभा रही हैं l

सम्मलेन को संबोधित करते हुए आलोक शुक्ला ने कहा कि हसदेव अरण्य की समृद्धता को स्वीकार्य करते हुए स्वयं केंद्र व राज्य सरकारों ने इसे खनन से मुक्त रखने के निर्णय लिए थे l वर्ष 2010 में सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को खनन से मुक्त रखते हुए NO GO क्षेत्र घोषित किया था l भूपेश सरकार ने मानव हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने, हसदेव के सम्पूर्ण कैचमेंट को सुरक्षित करते हुए परसा, तारा और केते एक्सटेंशन कोल ब्लाक को लेमरू में शामिल कर 3827 वर्ग किलोमीटर करते हुए प्रभावित ग्राम सभाओं से प्रस्ताव मंगाये गए l लेकिन आज उस निर्णय से पीछे हटते हुए सिर्फ अडानी कम्पनी के दवाब में उन्ही गाँव को उजाड़ने का कार्य किया जा रहा है l
जिला किसान संघ के सुदेश टीकम ने कहा कि पिछले एक दशक से हसदेव के आदिवासी और अन्य वन पर निर्भर समुदाय अपने जल, जंगल, जमीन, आजीविका, संस्कृति और पर्यावरण को बचाने के लिए आन्दोलनरत हैं l अपने जनवादी, लोकतांत्रिक जमीनी संघर्षो और जनपक्षीय कानूनों का इस्तेमाल करते हुए हसदेव के ग्रामीणों ने जंगलो के विनाश को रोका है l लेकिन आज मोदी और भूपेश सरकार मिलकर हसदेव के आदिवासियों का दमन करके उन्हे विस्थापित करना चाहते हैं l इसके खिलाफ आज पूरा छत्तीसगढ़ उद्देलित है l

बिलासपुर से आए प्रदीप चंद्र, प्रथमेश मिश्रा, प्रकाश सोनथलिया ने श्रेयांश बुढ़िया ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हसदेव के जंगलों को बचाने की लड़ाई अब बिलासपुर की भी लड़ाई है। क्योंकि इनके विनाश से बिलासपुर शहर सूखे में तब्दील हो जाएगा। प्रथमेश मिश्रा ने मुख्यमंत्री के बयान का जवाब देते हुए कहा कि सरकार हसदेव की खदान को निरस्त करने की घोषणा करें हम अपनी बिजली स्वयं काट लेंगे।
घाटबर्रा सरपंच विजय कोर्राम और साल्ही सरपंच विजय कोर्राम ने कहा कि हमारे गांव के फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव बनाकर अदानी कंपनी ने वन स्वीकृति हासिल की है। आज तक प्रशासन ने फर्जी प्रस्ताव की निष्पक्ष जांच तक नही की है।

सम्मेलन उपरांत उपस्थित हजारों लोगों ने हसदेव अरण्य के जल, जंगल, जमीन पर्यावरण को बचाने, पूरी मानवता को बचाने एकजुट संघर्ष का संकल्प लिया गया।
इसके साथ ही हसदेव का विनाश करने वाले अदानी समूह के उत्पादों का बहिष्कार करने का संकल्प लिया गया ।

धरना को बिजली जनता यूनियन के महासचिव सी के खांडे,प्रसिद्ध रंगोली कलाकार प्रमोद साहू, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के रमाकांत बंजारे, पंडो समाज के अध्यक्ष डॉ उदय पंडो, किसान मजदूर महासंघ के श्याम मूरत कौशिक, जागरूक जन छत्तीसगढ़ के अनिल वर्मा , गांधीवादी विचारक प्रथमेश मिश्रा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के सुरेंद्र राठौर, रायपुर के ओमेश बिसेन सहित
श्रीमती गीता जिला पंचायत सदस्य, बलरामपुर , श्रीमती रायमुनिया करियाम जनपद सदस्य गुमगा उदयपुर, बजरंग पैकरा जनपद सदस्य मदनपुर, सहित जयनंदन पोर्ते, सरपंच घाटबर्रा, विजय कोर्राम, सरपंच साल्ही, नवल सिंह बरकड़े सरपंच सोंतराई , श्रीपाल पोर्ते सरपंच बासेंन्,श्रीमती अमृता कोर्राम सरपंच मुड़गांव देवसाय मरपच्ची सरपंच मदनपुर जिला कोरबा, धजाक सरपंच धनसाय, केंदई सरपंच रमेश, खिरती सरपंच जयसिंह, गिधमुडी सरपंच गंगोत्री उइके आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।