लोक आस्था का महापर्व छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर किया गया समापन…

पत्थलगांव ✍️जितेन्द्र गुप्ता

पत्थलगांव में उदीयमान सूर्य की अर्घ्य के साथ चैती छठ महापर्व का समापन


लोकआस्था का महापर्व चैती छठ शुक्रवार की सुबह उदीयमान भगवान भास्कर अर्घ्य के साथ संपन्न हो गया। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने अन्न जल ग्रहण कर पारण किया। पत्थलगांव के शहर के रेस्ट हॉउस पीछे गली में भोजपुरी समाज के लोगों ने घर में ही पोखरनुमा घाट बनाकर तो वही कुछ लोग किलकिला मांड नदी में व्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की। बास से बने सूपा, दउरा में केला, सेव, निम्बू, अनानस, ईंख , ठेकुआ भगवान भास्कर को अर्पित किया गया । आपको बता दें कि महापर्वछठ साल में दो बार मनाई जाती है । यह पर्व कार्तिक और चैत्र माह में किया जाता है। सबसे कठिन वर्तो में से एक छठ पर्व जिसमें लोग भगवान भास्कर की अराधना करते हैं।

 

यह चैत्र छठ कम ही लोगों के द्वारा किया जाता हैं। यही कारण है कि लोग नदी पोखर के बजाए घरों में आस्था से मनाते है । वही कार्तिक माह में यह महापर्व बड़ी संख्या में लोग मनाते हैं। पत्थलगांव सहित जशपुर जिले के जशपुर, दुलदुला, बगीचा, मनोरा, कुनकुरी, फरसाबाहर, कांसाबेल, बागबहार, कोतबा, पत्थलगांव में हर्षोल्लास के साथ यह पर्व संपन्न हो गया । जिसके बाद ठेकुआ केला का प्रसाद वितरण किया गया।