कछार शिव मंदिर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। नवरात्र पर्व दिन बुधवार को पंचमी के दिन शिव मंदिर में काफी संख्या में पहुचे भक्त…..

पत्थलगांव ✍️जितेंद्र गुप्ता

पत्थलगांव से 13 किलोमीटर दूर रास्ट्रीय राजमार्ग में स्थित कछार के शिव मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। चैत्र नवरात्रा रोज रात्रि को आरती के बाद लगता है।माता का रसोई


कछार शिव मंदिर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। नवरात्र पर्व दिन बुधवार को पंचमी के दिन शिव मंदिर में भक्तो की काफी संख्या रही

रोजाना सुबह शाम आरती की जाती है। रात्रि आरती में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ पहुचने लगी है। जो पूजा करने के पश्चात मंदिर में लगने वाले रोजाना के माता की रसोंई ग्रहण करते है। ततपश्चात भक्त अपने अपने घरों को जाते है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना की गई है। जहाँ पहले दिन से लेकर पूरे नव दिन तक मनोकामना ज्योत कलश प्रज्वलित रहती है।ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से ज्योति कलश की ज्योत लगवाने से भक्तो की अपनी मांगी हुई सभी मुरादे माता रानी पुर्ण करती है।

 

नवरात्रि पर्व के पंचम दिवस माता स्कन्द के स्वरूप की महिमा बताते हुए बनारस से आए चंद्रेश्वर मिश्रा महाराज ने कहा कि युग युगान्तर कल्प कल्पान्तर की पुण्य का उदय होता है। तो यज्ञ पूजन अर्चन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। उसमें भी हम सब भक्त सौभाग्य साली है। जो हमे मानव जीवन प्राप्त हुआ है। और इस जीवन को हम किस तरफ ले जाये यह हमारे उपर निर्भर करता है।

कि हम कौन सा रास्ता चुनते हैं। धर्म कर्म से जुड़े रहने पर अगला जन्म भी उत्तम रहेगा और धर्म कर्म खराब रहेगा तो अगला जनम उसी के अनुसार प्राप्त होगा रामचरितमानस में गोस्वामी जी ने कहा है। कि बडहु भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सदग्रन्थनि गावा। अतः मानव जीवन जो प्राप्त हुआ है। उसका सदुपयोग करना चाहिए। और दुर्गा माता की कृपा प्राप्त हो जाये तो समझ लीजिए कि कोई कष्ट और ग्रह पीड़ा आपको छू तक नहीं सकता।