कछार के शिव मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा है चैत्र नवरात्र…

पत्थलगांव✍️जितेन्द्र गुप्ता

पत्थलगांव से 13 किलोमीटर दूर रास्ट्रीय राजमार्ग 43 में स्थित कछार के शिव मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा है चैत्र नवरात्रा


कछार शिव मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। नवरात्र पर्व दिन शनिवार को ही हिन्दू नववर्ष की शुरुवात के साथ ही नवरात्र पर्व की शुरूआत हो गई जिसके लिए बीते एक हफ्ते से कछार मंदिर समिति के सभी लोग पूरे तरीके से मंदिर की सजावट से लेकर अन्य सभी तैयारियां पूर्ण करके जुटे रहे शनिवार सुबह से पूजन कार्य प्रारंभ हो गया रोजाना सुबह शाम आरती की जाती है। रात्रि आरती में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ होती है। जो पूजा करने के पश्चात मंदिर में लगने वाले रोजाना के भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर अपने अपने घरों को जाते है।

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना की गई है। जहाँ पहले दिन से लेकर पूरे नव दिन तक मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित रहती है।ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से ज्योति कलश की ज्योत लगवाने से भक्तो की अपनी मांगी हुई सभी कामनाएं पुर्ण होती है।


वही कछार मंदिर में पूजन कराने वाराणसी से आये आचार्य चन्द्रेश्वर मिश्रा महाराज ने बताया कि इसबार नवरात्र शनिवार से आरम्भ हो रहा है। और हमारे ऋषि महर्षियो/ के द्वारा वर्णित है। अवाहन स्थापन शनि भौमवारे के अनुसार शनिवार, मंगलवार को कोई यज्ञ पूजा आरम्भ किया जाय वो वह उत्तम फलदायी होता है।

इस नवरात्र में माता रानी को प्रथम दिवस मिश्री दूध , दूसरे दीन लालपेडा, लवंग, तीसरे दीन दुध, दही,खोवा, चतुर्थ दिवस, काजू बदाम, पंचम दिवस- छोहाडा चीरौजी किसमिस षष्ठम दिवस, पीला पेड़ा,मिष्ठान, पान लौंग इलायची , सप्तम दिवस, अनार , केला,शहद , अष्टम दिवस, लोंग, इलायची, मेंवा, एवं नवम दिवस को हलुआ पुड़ी मेवा का भोग लगाने पर अपनी सभी संकल्पित मनो कामना पूर्ण होंगी क्योंकि हमारे धर्म शास्त्र में आया है। कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति अर्थात् पुत्र कुपुत्र हो सकता है। परन्तु माता कभी कुमाता नहीं होती अतः पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मातारानी की पूजन यजन करने पर भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी इसमें कोई संशय नहीं है।