जीवनोपयोगी एवं सांस्कृतिक महत्व के प्रति लोगों को प्रोत्साहित एवं जागरूक करने हजारों पौधे किए जाएंगे रोपित…….

 

 

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा एवं राज्य शासन के मंशा अनुरूप राज्य के सभी नगरों के उप नगरीय क्षेत्रों में कृष्ण कुंज के निर्माण हेतु निर्देशित किया गया था। जिसके तहत जिला-सूरजपुर अंतर्गत जिला प्रशासन एवं वनमण्डल सूरजपुर के सहयोग से नगरीय क्षेत्र सूरजपुर अंतर्गत 5 एकड़ वनभूमि पर औघोगिक संस्थान राजस्थान राज्य विघुत उत्पादन निगम लिमिटेड उदयपुर द्वारा, नगरीय क्षेत्र बिश्रामपुर में 1 एकड़ भूमि पर एसईसीएल बिश्रामपुर द्वारा, नगरीय क्षेत्र जरही अंतर्गत 1 एकड़ भूमि पर एस.ई.सी.एल. भटगांव द्वारा, नगरीय क्षेत्र भटगांव अंतर्गत 1 एकड़ भूमि पर एस.ई.सी.एल. भटगांव द्वारा, नगरीय क्षेत्र प्रेमनगर अंतर्गत 1 एकड़ भूमि पर जिला खनिज न्यास संस्थान मद एवं वन विभाग सूरजपुर द्वारा एवं नगरीय क्षेत्र प्रतापपुर अंतर्गत 1 एकड़ भूमि पर औघोगिक संस्थान छ.ग. हाईड्रो पावर लिमिटेड व वेनिका हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट के माध्यम से जिला सूरजपुर अंतर्गत कुल रकबा 11 एकड़ भूमि पर कृष्ण कुंज का निर्माण किया गया हैं। इस कृष्ण कुंज का लाभ क्षेत्र के लोगों को मिलेगा।

डीएफओ संजय यादव ने बताया कि निर्माण किये गये कृष्ण कुंज में कुल 33 प्रकार के 4250 पौधों का रोपण किया गया है। यहॉं सांस्कृतिक महत्व के बरगद 144, पीपल 194, कदम्ब 491 एवं जीवनोपयोगी आम 400, ईमली 375, गंगा ईमली 40, जामुन 226, सहतुत 20, अनार 10, गुलर 17, नीम 605, पलास 10, अमरूद 320, सीताफल 160, बेल 130, आंवला 205, बहेरा 20, शीषम 20, चंदन 28, काजू 30, कटहल 335, महुआ 50, कचनार 30, गुलमोहर 10, अषोक 20, नारियल 15, अमलतास 205, पीला बांस 25, कियोकरपस 25, सुपाड़ी पाप 10, साल 20, सीता अशोक 30 एवं 30 अर्जुन के पौधों का रोपण किया गया हैं, इसके लिये राज्य शासन द्वारा डिजाईन के अनुरूप पूरे कुंज के मध्य में कृष्ण वट की भी स्थापना की जायेगी, इसमें चारों ओर फेसिंग का निर्माण किया गया हैं, इसके अवलोकन हेतु आवश्यकता अनुसार पाथवे का निर्माण किया गया हैं।

* वृक्षों का संरक्षण ही मुख्य उद्देश्य 

कृष्ण कुंज का मुख्य उद्देश्य जीवनोपयोगी एवं सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण वृक्षों को उपनगरीय क्षेत्रो में संरक्षित किया जा सके ताकि आने वाली पीढ़ियों को वृक्षों के साथ इन वृक्षों के सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व के प्रति भी लोगों को जागरूक करते हुये उन्हें वृक्षारोपण के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।