प्राथमिक शाला का शराबी शिक्षक स्कूल में छलकाता है जाम, नशे में धुत्त होकर बच्चों को बेरहमी से पीटा, कराया शौचालय साफ…

कोरबा/पाली-चैतमा :- शिक्षक का दर्जा समाज मे हमेशा से ही पूज्यनीय रहा है। कोई उसे गुरु कहता है, कोई शिक्षक, कोई आचार्य कहता है, तो कोई अध्यापक या टीचर कहता है। ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते है, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है और जिनका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण में काफी अहम स्थान रखता है।

माता-पिता के बाद शिक्षक ही एक ऐसा गुरु होता है जो अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है। एक शिक्षक ही अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता है, तभी शिक्षक को समाज मे उच्च दर्जा मिला है तथा उन्हें समाज का शिल्पकार कहा जाता है। लेकिन तब क्या हो जब एक शिक्षक शिक्षण कार्य को कलंकित करते हुए शिक्षा के मंदिर को मयखाना और पढ़ने वाले बच्चों को सफाई कर्मी बनाकर बेरहमी से पिटाई करें।

जिले के पाली विकासखण्ड अंतर्गत संकुल केंद्र चैतमा के अधीन आने वाले ग्राम साजाबहरी प्राथमिक शाला में शिक्षक छत्रपाल सिंह राज पदस्थ है, ग्रामीणों के अनुसार जो आए दिन शराब के नशे में धुत्त होकर स्कूल पहुँचतें है तथा यहां पढ़ने वाले बच्चों को मानसिक व शारीरिक यातना देते हुए उल्टे- सीधे कार्य कराए जाते है। उक्त शिक्षक की हरकत ऐसी की शराब मंगाकर शिक्षा के मंदिर भीतर बच्चों के सामने ही जाम छलकाने लग जाते है। ग्रामीणों ने बताया कि शराबी शिक्षक को शिक्षण कार्य के दौरान शराब का सेवन न करने की अनेकों बार समझाईश दी गई परन्तु उनके आचरण में कोई सुधार नही आ सका है। जिसके कारण साजाबहरी प्राथमिक शाला में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर पर है। बीते मंगलवार 16 अगस्त को शिक्षक राज शराब के नशे में धुत्त होकर पाठशाला पहुँचे और बच्चों को स्कूल प्रांगण व शौचालय के साफ सफाई का काम सौंप दिया। जब कुछ बच्चे इस कार्य के लिए आनाकानी किये तब डंडे से उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी गई। जिस पिटाई के निशान बच्चों के शरीर पर उभर आए। उक्त शिक्षक के शराबखोरी व बच्चों की पिटाई को लेकर अभिभावक आक्रोशित है तथा बच्चे भी काफी भयभीत है। एक ओर जहां अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति भारत की गुणवत्तायुक्त शिक्षा की तारीफ करते है, तो वहीं दूसरी ओर ऐसे शिक्षक की हरकतों से शिक्षा कलंकित हो रहा है। शिक्षक वह गुरु है जो अपने शिक्षार्थी के सर्वांगीण विकास का मूल आधार है, तथा वह अपने विद्यार्थी को स्कूल में जो सिखाता है या बच्चे जो देखते है वे वैसा ही व्यवहार करते है तथा उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है, जैसा वह अपने आसपास होता देखते है।

किन्तु साजाबहरी प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक छत्रपाल सिंह राज बच्चों को किताबी ज्ञान कम अनैतिक ज्ञानकला ज्यादा सीख दे रहे है। शासन- प्रशासन को ऐसे गैर जिम्मेदाराना शिक्षकों पर सख्ती से लगाम कसना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य कलंकित गुरु के हाथों अंधकारमय होने से बच जाए।