क्या पुलिस विभाग के कर्मचारियों को अपने निजी वाहन में नीली बत्ती लगाने की है अनुमति…

 

* सूरजपुर के बसदई चौकी प्रभारी अपने निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर बिखेर रहे हैं जलवे , क्या अधिकारियों की अभी तक नहीं पड़ी नजर.

* एमसीबी जिले के तर्ज पर सूरजपुर जिले में भी काम करते नजर आ रहे हैं उप निरीक्षक.

* अधिकारियों को खुश कर कमाने की इनकी है पुरानी आदत, एमसीबी के एसपी के बाद अब वह सूरजपुर में भी जमा बैठे हैं धाक.

* आज तक बिना प्रभार इन्होने नही किया काम,सिपाही से लेकर उप निरीक्षक बनने तक हमेशा रहे प्रभार में.

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर /  वर्दी पहनने के बाद किसी भी इंसान में एक अलग ही रुतबा उत्पन्न हो जाता है पर यदि रुतबा अच्छे कार्यों के लिए हो तो समझ में आता है पर रुतबा अलग उद्देश्य के लिए हो तो फिर ऐसे रुतबे का कोई काम नहीं होता सिर्फ यह रुतबा लोगों के लिए दिखावा व परेशान करने का एक जरिया होता है, कुछ ऐसा ही अक्सर पुलिस विभाग में देखने सुनने को मिल जाता है ऐसा ही पुलिस विभाग के ही एक उपनिरीक्षक की बात करें जो नियम विरुद्ध तरीके से अपने निजी वाहन में पुलिस की बत्ती व सायरन लगाकर बेधड़क चलते हैं पर शायद उनके उच्च अधिकारियों को यह नहीं दिखता यह कहा जाए तो काफी प्रभावशील उप निरीक्षक है जिस वजह से कोई इन्हे बोल नहीं सकता और यह प्रभावशील इसलिए भी माना जा सकता है क्योंकि यह पड़ोसी जिले यानी कि कोरिया व एमसीबी दोनों में काम करते हुए एक अलग ही कीर्तिमान हासिल कर चुके हैं वह भी कीर्तिमान ऐसा है कि किसी से छुपा नहीं है। अधिकारियों को अपनी गिरफ्त में करने में यह माहिर है और अधिकारियों को अपने में गिरफ्त में करने के लिए अपनी विभाग के पुलिसकर्मियों की बुराई करके अधिकारियों के करीबी बनते हैं और उनकी सबसे अच्छी आदत यह है कि यह कहीं पर भी बिना प्रभारी के काम करना उचित नहीं समझते। इतने प्रभावशील पुलिसकर्मियों में इनकी गिनती आती है की यह एक ही जिले में आरक्षक से लेकर पदोन्नति होते-होते तक उप निरीक्षक बन गए थे पर जिला परिवर्तन नहीं हुआ था लंबे समय के अंतराल के बाद पहली बार जिला परिवर्तन हुआ और यह भी अपने ही पड़ोसी जिला पाने में सफल रहे यह भी माना जा रहा है कि यह भी जिला इन्हें जुगाड़ से प्राप्त हुआ है अब यह बात अलग है कि यह विभागीय मामला है पर इनके कार्य को देखकर ही यह समझ में आ जाता है कि इनके लिए विभाग को मैनेज करना काफी आसान है सरकार किसी की भी हो और जिला में कोई भी चौकी थाना का प्रभारी बनना हो तो उनके लिए आसान हो जाता है।

नए जिले में पुराने जैसा कारनामा- कोरिया उसके बाद विभाजित जिला एमसीबी में लगातार कीर्तिमान स्थापित करते हुए हमेशा थाना प्रभारी या चौकी सहायता केंद्र प्रभारी बनकर रहने वाले आरक्षक से उप निरीक्षक तक का सफर पूरा करने वाले वर्तमान में सूरजपुर जिले के बसदेई चौकी प्रभारी उप निरीक्षक नए जिले में भी अपना कारनामा करते नजर आ रहे हैं,सबसे बड़ी बात की जैसे ही इनका तबादला हुआ पहले तो यह जुगाड में लगे रहे की प्रभार मुक्त न होना पड़े इन्हे वहीं जब प्रभार मुक्त होना पड़ा जिला छोड़ना पड़ा तो इन्होंने पहले ही सभी जुगाड कर लिया।
इन्होंने सबसे पहले पहुंचकर नए जिले में एक चौकी का प्रभारी बनने का जुगाड लगाया और उसमे सफल हुए फिर वहां अपनी धौंस जमाने में लग गए।
आजकल इनकी अपनी निजी गाड़ी चर्चा का विषय है जिसमे इन्होंने नीली बत्ती लगाई हुई है जिससे यह एमसीबी से सूरजपुर जिले आना जाना भी करते हैं एमसीबी इनका गृह जिला है।

स्थानांतरण के बाद जैसे ही इन्हें नया जिला मिला आमद लेते ही तत्काल चौकी प्रभारी भी बनाया गया ऐसा लगा कि इन्हीं के लिए बसदेई चौकी इंतजार कर रहा था – बसदई चौकी के प्रभारी बने एमसीबी के खड़गवां थाने से स्थानांतरित हुए उप निरीक्षक के लिए जैसे की बसदेई चौकी इंतजार ही कर रहा था।
यह जैसे ही सूरजपुर जिला पहुंचे इन्हे बसदेई चौकी का प्रभारी बनाया गया।

* कुल मिलाकर पहले ही पूरी सेटिंग करके यह पुराने जिले से भारमुक्त हुए।

इनका जुगाड कितना अच्छा है कितना तगड़ा है इसी से समझा जा सकता है की थाना चौकी प्रभार में मिल जाए इसके लिए पुलिस विभाग में लंबी कतार रहती है लेकिन यह कतार तोड़कर आगे बढ़ने में माहिर हैं क्योंकि इनका जुगाड तगड़ा है बाकियों से।

* निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर तीन जिलों में बसदई चौकी प्रभारी जमा रहे अपनी धौंस।

सूरजपुर जिले के बसदई चौकी प्रभारी अपनी निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर तीन जिलों में अपनी धौंस जमा रहे हैं,एमसीबी इनका गृह जिला है जहां इनका आना जाना लगा रहता है,कोरिया जिला बीच में पड़ता है वहीं सूरजपुर जिले में यह पदस्थ हैं अब इस तरह यह तीन जिलों में अपनी निजी गाड़ी में नीली बत्ती लगाकर खुद की धौंस बता रहे हैं।

* क्या निजी वाहन में नीली बत्ती लगाना नियम अनुसार है सही ..?

बसदेई चौकी प्रभारी अपनी निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर तीन जिलों में सफर कर रहे हैं,क्या यह जायज है क्या यह नियम अनुसार सही है ,अब इसका जवाब तो पुलिस विभाग के पास ही होगा की क्या यह अनुमति उन्हे पुलिस विभाग से मिली हुई है।
वैसे लोगों के बीच तीन जिलों के लोगों के बीच यह चर्चा का विषय है क्योंकि कई जिलों के कई लोग पुलिस विभाग में बड़े बड़े पदों पर हैं लेकिन जब वह अपने गृह जिले आते हैं अपनी निजी गाड़ियों में तब वह कोई बत्ती अपनी गाड़ी पर नहीं लगाकर नहीं आते यह चर्चा का विषय है।

* सरकारी वाहन के आड़ में अपने निजी वाहन में डलवाते हैं सरकारी ईंधन.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बसदेई चौकी प्रभारी इतने रसूखदार हैं कि अपनी निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर घूमते ही हैं साथ ही शासकीय वाहन में डालने वाला ईंधन भी अपने निजी वाहन में डलवा कर घूमते हैं जबकि इसी ईंधन से इनका दो जिला पार कर रोज आना-जाना होता है सूत्र…
अब इससे अंदाजा लगाया जा सकता है विभाग की आंखों में किस प्रकार से धूल झोंक रहे हैं अब देखना यह है कि संबंधित अधिकारी इस मामले की जांच कर कार्रवाई करते हैं या फिर रसूखदार चौकी प्रभारी अपने पहुंचे और पकड़ से निरंतर ऐसे ही चलते रहेंगे…