राष्ट्रीय बाल अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित प्रकरणों के निराकरण हेतु किया गया शिविर का आयोजन…..

 

 

 

* बच्चों के समस्याओं के प्रति संवेदनशील होकर कार्य करें…डॉ. दिव्या गुप्ता

* पालक बच्चों को पढ़ाये और उनका भविष्य उज्जवल बनायें.

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर/  भारत सरकार राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग नई दिल्ली के द्वारा जिले के प्रतापपुर विकासखण्ड के बस स्टैण्ड के समीप सामूदायिक भवन में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की खण्डपीठ के द्वारा बाल अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित प्रकरणों के निराकरण हेतु छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं जिला प्रशासन के सहयोग से शिविर का आयोजन किया गया था। शिविर में राष्ट्रीय बाल आयोग (एनसीपीसीआर) की सदस्य डॉ. दिव्या गुप्ता एवं छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य श्रीमती आशा यादव उपस्थिति तथा उनकी खण्डपीठ के द्वारा विभिन्न विषयों पर सुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

आयोग की सदस्य डॉ. दिव्या गुप्ता ने अपना परिचय देते हुए बताया कि माननीय नरेंद्र मोदी जी की विशेष पहल है कि हम सबको अब सुदूर ग्रामीण जनों तक के ब्लॉक (जनपद स्तर) तक जाना है। वो जगह जहां पर ऐसा लगता है, कि शायद सरकार की आवाज वहां तक नहीं पहुँच पा रही है। वहां तक पहुँचना है। उन्होंने शिविर में आये हितग्राहियों से कहा कि आपकी जो भी समस्या हो, आप अपनी समस्याओं के बारे में मन से जो कहना चाहते है कहो आप अपनी बातों को किस तरह प्रधानमंत्री तक पहुँचाना चाहते है। मैं उनका प्रतिनिधि बनकर आप सबके पास आयी हूँ। क्योंकि बहुत आवश्यक है कि हम सरकार की तरफ से, शासन प्रशासन की तरफ से, हम बच्चों के समस्याओं के प्रति संवेदनशील होकर उनके लिए काम करेंगे तो ही संभव है कि जिसे हम न्यू इंडिया या नया भारत कहते है। उसको आगे लेकर जा सकते है।

आज प्रतापपुर में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली की सदस्य डॉ दिव्या गुप्ता द्वारा बालकों के अधिकार के उल्लंघन के शिकायत निवारण हेतु शिविर लगाकर उनका निवारण किया गया। जिसमें विकलांगता सर्टिफिकेट एवं पेंशन से संबंधित 188 प्रकरण आधार कार्ड बनाने को लेकर 78 और जन्म प्रमाण पत्र से संबंधित 127 प्रकरण दर्ज किये गये। शिविर में आये समस्यों को डॉ. दिव्या गुप्ता ने विभागवार जानकारी संकलन करने के निर्देश दिये। शासन के विभिन्न विभागों के द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओें तथा आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, दिव्यांगता प्रमाण पत्र, आयुष्मान कार्ड, आधार कार्ड, इसके अलावा छात्रावास में एडमिशन, जाति प्रमाण पत्र, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रकरण भी दर्ज की गई साथ ही तीन स्कूल की छात्राएं सेनेटरी पैड बैंडिंग की मशीन लगाने हेतु आवेदन एनसीपीसीआर के सदस्य को दिया गया। कुल प्रकरण 480 से अधिक प्राप्त हुआ, जिनमें से 350 से अधिक प्रकरणों का निराकरण मौके पर किया गया।

इस कार्य को पूरा करने में सूरजपुर के स्वयंसेवी संगठन युवा साथी फाउंडेशन, प्रतापपुर के सरगुजा साइंस, ग्रुप के साथी पैरा लीगल वालंटियर, शिक्षा विभाग के टीचर्स, स्वास्थ्य विभाग के वालंटियर, पंचायत विभाग के कर्मचार, महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी सुपरवाइजर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ,आईसीपीएस के समस्त स्टाफ उपस्थित थे।शिविर समापन के दौरान डॉ. दिव्या गुप्ता एवं श्रीमती आशा यादव को कलेक्टर द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान सम्मानित किया गया। डॉ. दिव्या गुप्ता ने इस दौरान हितग्राहियों का जाति प्रमाण पत्र वितरण किया।शिविर में कलेक्टर संजय अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक आई कल्याण ऐलिसेला, जिला पंचायत सीईओ लीना कोसम, एसडीएम श्रीमती दीपिका नेताम सहित शिविर से संबंधित समस्त जिला अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

* विभिन्न स्टालों का निरीक्षण कर दिव्यांगों को सामग्री प्रदाय किया गया-शिविर प्रारम्भ होने से पूर्व सभी अतिथियों ने जिला प्रशासन द्वारा लगाये स्टालों का निरीक्षण किया। इस दौरान दिव्यांग बच्चों को पुस्तक, व्हील चेयर, कान की मषीन, पढ़ने के लिए कॉपी पुस्तक आदि सामग्री प्रदान किया गया। स्टालों के निरीक्षण के दौरान आयोग की सदस्य ने स्टालों से दिये जाने वाले सुविधाओं के बारे में जाना तथा लोगों को इससे क्या लाभ होगा उसके बारे में बताने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रधानमंत्री जेनेरिक दवाइयों के प्रचार -प्रसार को बढ़ावा देने कहा। जिससे गरीब लोगों को अधिक लाभ दिया जा सके। उद्यान विभाग की ओर से डॉ. दिव्या गुप्ता को आंवला, गुलाब जामुन के पौधे दिये गये।

पालक बच्चों को पढ़ाये और उनका भविष्य उज्जवल बनायें-
आवेदन लेकर आये आवेदक पालक रामेश्वर ग्राम खेरमा कैराडांड निवासी ने विक्की, कक्षा 8 वीं विकास कक्षा 5 वीं एवं विवके कक्षा 6 वीं जिनके पिता उमेश है। जिनकी माता जी नहीं है। उनकी समस्या सुन आयोग की सदस्य ने शिक्षा विभाग एवं ट्राइबल विभाग को इनके पढ़ने- लिखने के छात्रावास तथा छात्रवृत्ति मुहैया कराने के निर्देष देते हुए कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता नहीं है। उन बच्चों को पालक बच्चों को अवश्य पढ़ाये और उनका भविष्य उज्जवल बनाने में सहयोगी बने।