मंडप सजा था..दूल्हा तैयार था, बिना दुल्हन के बेरंग लौट आई बारात, जानिए क्या थी वजह….

 

 

 

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर/ कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश पर जिले में जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रवेश सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन जिले में बाल विवाह के रोकथाम के लिये संयुक्त टीम सक्रिय है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई, चाईल्ड लाईन एवं पुलिस विभाग की संयुक्त टीम सतर्क है। जिले में सूचना प्राप्त होते ही टीम मौके पर जाकर बाल विवाह रुकवा रही है।

संयुक्त टीम द्वारा विकास खण्ड सूरजपुर के ग्राम रामनगर में एक 16 वर्षीय बालिका, ग्राम गिरवरगंज में एक 17 वर्षीय बालिका, ग्राम डुमरिया में 15 वर्षीय बालिका, विकास खण्ड ओड़गी के दुरुस्थ ग्राम खोड़ में एक17 वर्षीय बालिका विकास खण्ड रामानुजनगर के ग्राम रामतीर्थ में एक 16 वर्षीय बालिका को बालिका वधु होने से बचाया गया। जिला बाल संरक्षण अधिकारी को सूचना प्राप्त हुई थी की एक 16 वर्षीय बालिका का बाल विवाह होने जा रहा है, जिस पर संयुक्त टीम तत्काल मौके पर पहुंची, जहां बालिका एवं उसकी मां के द्वारा बताया गया कि बालिका के पास कोई भी जन्म संबंधी दस्तावेज नहीं है, बालिका सिर्फ चौथी तक पढ़ाई की है, और उसका समस्त दस्तावेज स्कूल में है तथा स्कूल बंद है। बालिका के परिजनों द्वारा टीम को आधार कार्ड दिखाया गया, जिसमें बालिका का उम्र 18 वर्ष पूर्ण हो चुका था। जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा पड़ताल करने पर पता चला की बालिका इस वर्ष 10वीं की परीक्षा दी है तथा उसका उम्र 16 वर्ष ही है। दाखिल खारिज पंजी का फोटो मंगाया गया तब जाकर परिजनों में विवाह रोकने की सहमति दी गई तत्पश्चात इस आशय का पंचनामा, कथन एवं अन्य दस्तावेज तैयार किया गया।
जिले में संयुक्त टीम को सूचना प्राप्त होते ही मौके पर जाकर बाल विवाह रोक कर घर वालों एवं ग्रामीणों को बाल विवाह से होने वाले दुष्परिणामों के संबंध में जानकारी दी जाती है।

सूचना पर तत्काल संयुक्त टीम द्वारा बालिकाओं के घर जाकर दस्तावेज सत्यापन कर बाल विवाह न करने की समझाईश दी गई। मौके पर वर पक्ष से भी सम्पर्क कर बालिका के नाबालिक होने एवं यह विवाह न करने की समझाईश दिया गया, यह विवाह हुआ तो सभी को परेशानी उठानी पड़ सकती है, तब वधु एवं वर पक्ष सभी ने विवाह नहीं करने का निर्णय लिया। यदि विवाह होता है तो बाल विवाह प्रतिशेध अधिनिय 2006 के तहत् विवाह कराने वाले, सहयोग करने वाले अनुमति देने वालों एवं सामील होने वालों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध होगा और 02 वर्ष तक की सजा एवं 01 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। तब जाकर घर वाले अपना मण्डप स्वयं से उखाड़ दिये और विवाह 18 वर्ष पूर्ण होने के बाद करने का निर्णय लिया और पंचनामा बना कर टीम को दिया।