जच्चा-बच्चा की मौत के मामले में अस्पताल प्रबंधन पर भी उठे सवाल, आखिर पुलिस कब करेगी एफआईआर और कब तक होगा पीएम रिपोर्ट का इंतजार…..

 

 

 

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर। स्वास्थ्य मंत्री के संभाग वाले सूरजपुर जिले में एक ऐसा मामला आया है जो स्वास्थ विभाग की पोल खोला कर रख दी है जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर ने अपने ड्यूटी टाइम में अपने ही नर्सिंग होम में जिला चिकित्सालय में एडमिट प्रसूता को अपने निजी नर्सिंग होम ले गई जहां जच्चा बच्चा दोनों की मौत हो गई, जिसके बाद मामला गरमा गया है और परिजनों ने डॉक्टर को दोषी बताया है जिसके बाद प्रथम दृष्टि में तो प्रशासन ने रश्मि नर्सिंग होम को सील कर दिया है पर मामला यहीं पर रुकने वाला नहीं है मामला काफी बड़ा है और इस मामले में जिला चिकित्सालय की भी भूमिका संदिग्ध है यहां तक कि जिला चिकित्सालय के प्रबंधन की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है सवाल इसलिए भी लाजमी है की जिला चिकित्सालय के डॉक्टर किस के अनुमति से अपने निजी नर्सिंग होम में इलाज कर रहे थे और आखिर क्या गलती की जिस वजह से जच्चा-बच्चा की मौत हो गई, सूत्रों का कहना है की जिला चिकित्सालय से जो रक्त रश्मि नर्सिंग होम प्रसूता के लिए गया हुआ था उसे बिना जांचे ही उसे चढ़ा दिया गया, जिस वजह से उसकी मौत हो गई, पर इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है इसकी पुष्टि तो पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही होगी पर पत्रकारों के ऑन कैमरे में ये बात रिकॉर्ड हो गई है जो खुद डॉक्टर ने कबूला था अब इतना सब कुछ होने के बाद भी पुलिस प्रशासन अपराध क्यों नहीं दर्ज कर रहा है यह एक सोचने के विषय है कहीं राजनीतिक प्रभाव व पैसे का दबाव तो नहीं या फिर मामले को दबाने का प्रयास है, कही मामले को रफा-दफा करने की तैयारी तो नहीं? पीएम रिपोर्ट में कोई छेड़खानी तो नहीं होगी? यह भी संदेह जताया जा रहा है यदि निष्पक्ष जांच हुई तो परत दर परत कई खुलासे हो सकते हैं और यदि प्रभाव में जांच हुई तो सारे सबूतों को मिटाया जा सकता है।

* आखिर पुलिस कब करेगी एफआईआर और कब तक होगा पीएम रिपोर्ट का इंतजार- परिजनों ने डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं और जच्चा-बच्चा मौत की वजह भी डॉक्टर को बताया है डॉक्टर कैसे दोषी हैं इसके लिए उन्होंने कुछ साक्ष्य भी दिए डॉक्टर व परिजनों के बयान के अनुसार यह बात सामने आई है कि डॉक्टर की लापरवाही की वजह से ही जच्चा-बच्चा की मौत हुई है जिला चिकित्सालय से आए रक्त का बिना जांच किए ही मरीज को चढ़ाया जा रहा था जो शरीर को रिएक्शन किया जिस वजह से मौत हुई यह बात निकलकर सामने आ रही है इसकी पुष्टि पीएम रिपोर्ट आने के बाद होगी पर फिलहाल तो यही बात सामने आ रही है।

* जिला अस्पताल की भर्राशाही ख़त्म होने का नहीं ले रही नाम-जिला अस्पताल की भर्राशाही फिर एक बार उस समय सामने आई है जब एक महिला चिकित्सक के निजी किलिनीक में जच्चा बच्चा दोनो की मौत हो गई है। मृतक के परिजनों में भारी रोष है पर अस्पताल प्रबंधन सांप निकलने के बाद लकीर पीटने के अन्दाज में फिर एक बार जांच की बात कर रहा है जबकि इस महिला चिकित्सक के खिलाफ पूर्व में भी कई शिकायतें रही है जिस पर आज तक कभी मुकम्मल कार्रवाई हुई ही नही है। जिसका परिणाम रहा है कि अस्पताल के डॉक्टर मरीजो को हांक कर अपने निजी क्लीनिक ले जाते है जहाँ सीधे जेब पर डाका डालने के अन्दाज में उपचार करते है।इस डॉक्टर की हमेशा शिकायत रही है। पैसा लेन देन की शिकायत कलेक्टर से लेकर सीएमएचओ से भी किया गया है। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ा हुआ है। यही नही यहां जिला अस्पताल के कई नामी डॉक्टर अस्पताल से मरीजो को लगभग हाका मारने के अंदाज में घर मे ले जाकर न केवल मरीजो के जेब मे डाका डाला जा रहा है।बल्कि जान भी ले ले रहे है।

* यह है पूरा मामला – गुरुवार को नगर से लगे तिलसिवां में स्थित रश्मि नर्सिंग होम में ग्राम भुवनेश्वरपुर की रहने वाली पूजा साहू को प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था,परिजनों का आरोप है कि वह 3 अप्रैल को पूजा को लेकर प्रसव के लिए जिला चिकित्सालय आए थे, जहां उसका 4 अप्रैल तक इलाज किया गया,, लेकिन जब वह पूजा की हालत में सुधार नही हुआ तो वह उसे लेकर अंबिकापुर किसी अन्य हॉस्पिटल उपचार के लिए जाने पर विचार कर रहे थे,, इसी दौरान जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर और रश्मि नर्सिंग होम के संचालक डॉ ने उन्हें यह कहते हुए अपने नर्सिंग होम में एडमिट करा लिया कि जो वहां उपचार होगा वह उपचार उनके नर्सिंग होम में हो जाएगा परिजनों ने डॉक्टर रश्मि की बात मानते हुए पूजा को 4 अप्रैल की शाम डॉक्टर रश्मि के नर्सिंग होम में भर्ती करा दिया जहां 5 अप्रैल को पूजा का बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ और कुछ देर बाद रात में पूजा ने भी दम तोड़ दिया वहीं शिकायत मिलने के बाद पुलिस नर्सिंग होम पहुंचकर जांच में जुट गई है और शव को पीएम के लिए जिला चिकित्सालय भेजकर कराया गया।

* नर्सिंग एक्ट का उल्लंघन – इधर जिला मुख्यालय में सरकारी डाक्टर खुले आम नर्सिंग एक्ट का उल्लंघन कर रहे है जिस पर कोई अंकुश नही है। नियमानुसार न तो फीस की रसीद दी जा रही और न यह बताया जाता कि रेट क्या है। यही नही अस्पताल के टाइम का भी ध्यान नही दिया जा रहा। इसके अलावा अन्य कई नियम है जिसका पालन नही किया जा रहा है। इस पर अधिकारी भी खामोश है। वहीं जच्चा बच्चा की मौत होने के मामले में कई तमाम खामियां लापरवाही सामने आई, जब खून की आवश्यकता पड़ी तो बोतल खून नर्सिंग होम पहुंच गया, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है जिला अस्पताल और नर्सिंग होम की मिलीभगत का।