बाल विवाह पूर्णतः रोकथाम पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, बाल विवाह एक कुरीति ही नहीं बल्कि है अपराध…….

 

 

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर/  राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशानुसार जिला स्तर पर विवाह को सम्पन्न कराने में सहयोग करने वाले एवं समाज प्रमुखों का एक दिवसीय कार्यशाला कलेक्टर सुश्री इफ्फत आरा के निर्देश पर पुराना कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में आयोजित किया गया। कार्यशाला श्री चन्द्रबेश सिंह सिसोदिया जिला कार्यक्रम अधिकारी के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।

कार्यशाला का प्रारम्भ मुख्य अतिथि प्रधान मजिस्ट्रेट आनंद कुमार सिंह एवं विशिष्ट अतिथि अपर कलेक्टर  नरेन्द्र पैकरा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य अतिथि  आनंद कुमार सिंह ने कहा कि बाल विवाह एक कुरीति ही नहीं बल्कि अपराध है। बाल विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगियों पर अपराध पंजीबद्ध होता है और कार्यवाही की जाती है। इस प्रकार के कुरीति को समाज से कैसे दूर किया जाये इसका मंथन और चिंतन सभी समाज को करना है। आज सभी समाज के प्रमुख यहां उपस्थित है। सभी संकल्प लेकर जायें कि हमारे समाज में बाल विवाह नहीं होगा। तभी इस कार्यशाला की सार्थकता होगी।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संयुक्त कलेक्टर  नरेन्द्र पैकरा ने कहा कि जिला प्रशासन इस बुराई को समुल खत्म करने को तत्पर है। विवाह के पंजीयन हेतु सभी ग्राम पंचायत सचिवों को निर्देश दिये गये हैं। जिससे प्रथम दृष्टया ही बाल विवाह की जानकारी पंचायत या नगरीय क्षेत्र को प्राप्त हो जायेगी और इसे रोका जा सकेगा। जिस समाज को भी जिला प्रशासन के सहयोग की अपेक्षा है हमें बतायें हम सहयोग करने को तैयार है।

कार्यशाला को जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने सम्बोधित करते हुये बताया कि बाल विवाह के प्रकरण विगत सात वर्षो से आ रहे है। अभी कुछ प्रकरण कम हुऐ है लेकिन पूर्णतः रोक नहीं लग पाई है। इस एक दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य सूरजपुर जिला को बाल विवाह मुक्त जिला बनाना है। आज के कार्यशाला में जिन समाजों में ज्यादा प्रकरण आते हैं उन समाज प्रमुखों को बुलाया गया है। ताकि समाज प्रमुख अपने समाजों का बैठक आयोजित कर निचले स्तर में इस सामाजिक बीमारी का इलाज हो सके। बाल विवाह करने वाले, सहयोग करने वाले, शामील होने वाले सभी के ऊपर बाल विवाह प्रतिशेध अधिनियम 2006 के तहत् अपराध पंजीबद्ध किया जाता है। उक्त अधिनियम अंतर्गत ऐसे सभी के ऊपर एक लाख रुपये जुर्माना और दो वर्ष के सजा का प्रावधान है। इसलिये इस कार्यशाला में पुरोहित महाराज, नाई समाज, टेन्ट वाले के संचालक, कैटरिंग के संचालक, शादी घर के संचालक, प्रेस (कार्ड छापने वाले), बैण्ड , फुल-माला लगाने वाले सभी को बुलाया गया है। सभी इस बात की पुष्टी अवश्य करें कि विवाह वाले मामले में बालिका की उम्र 18 वर्ष एवं बालक की उम्र 21 वर्ष हो गई है, यदि नहीं हुई है तो उसे विवाह ना करने की सलाह दे और इसकी सूचना टोल फ्री नं0 1098, 181, 112 में दंे या फिर जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना कार्यालय या जिला कार्यालय को दें अन्यथा वे भी दण्ड के भागी रहेंगे। महाराजगण लगन पत्री बनाते समय अपने जजमानों को बाल विवाह न करने का सलाह अवश्य दें।

सभी समाज प्रमुखों ने बाल विवाह, गरीबी, अशिक्षा एवं लड़कियों के भाग जाने के डर से विवाह करने की बात कही, परन्तु सभी ने अपने समाज में बाल विवाह न करने का शपथ लिया। कार्यशाला में पुरोहित राजेश दुबे (बबलु महाराज) जिला पंचायत सदस्य एवं रजवार समाज की श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, गोंड़ समाज से श्रीमती शांति सिंह, रजवार समाज जिला अध्यक्ष  अरुण राजवाड़े, साहू समाज से जिलाध्यक्ष  जोखन साहू, सर्व नाई समाज से  बसंत लाल ठाकुर एवं भगवान ठाकुर, नरेन्द्र ठाकुर, केंवर समाज से रावेन्द्र पैकरा, उंराव समाज से मोहर, साय राम, हरिजन समाज से लखन लाल कुर्रे (जिलाध्यक्ष) ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने मंे प्रमुख रुप से जैनेन्द्र दुबे (परामर्शदाता), श्रीमती अंजनी साहू (सामाजिक कार्यकर्ता), पवन धीवर, हर गोविन्द चक्रधारी (आउटरिच वर्कर रमेश साहू, शीतल साहू, प्रकाश राजवाड़े (चाईल्ड लाई सूरजपुर) योगदान रहा।