गुरु घासीदास की जयंती पे धूमधाम से निकाली गई शोभायात्रा वे एक सशक्त ब्यक्तित्व के साथ आध्यात्मिक गुरु थे। जो नवजागरण का संदेश लेकर अवतरित हुए थे …

पत्थलगांव✍️ जितेन्द्र गुप्ता
गुरुघासीदास बाबा की जयंती में धूमधाम से निकली शोभायात्रा हजारों की संख्या में लोग हुए शामिल आधुनिक भारत के नैतिक ,सामाजिक, धार्मिक तथा आध्यात्मिक जागरण के एक महान शिल्पीकार थे गुरु घांसी दास
भगवान बुद्ध की परंपरा के महान संत ,बुद्ध की तरह ही मानव की समानता ,नैतिक मूल्यों के समर्थक , सामाजिक समानता ,व्यक्ति की गरिमा के हिमायती एव उनकी ही तरह धार्मिक आडंबरों हिंसा,चोरी ,नशा से दूर रहने की बात करने वाले महान संत गुरु घासी दास जी जयंती पर समस्त मानव प्राणियों को सिख लेने की आवश्यकता है।
पूरे देश प्रदेश में गुरु घासीदास बाबा की जयंती जोर शोर से मनाई जा रही है। गुरु घासीदास आधुनिक भारत के नैतिक ,सामाजिक, धार्मिक तथा आध्यात्मिक जागरण के एक महान शिल्पीकार थे। आधुनिक युग में घासीदास एक सशक्त ब्यक्तित्व के साथ आध्यात्मिक गुरु थे । वे  नवजागरण का संदेश लेकर अवतरित हुए थे। महापुरुषों की जयंती इसलिए मनाई जाती है। जिससे उनके द्वारा दिए गए संदेश हम आने वाले अनेक  पीढ़ियों तक पहुंचा सकें। बाबा ने आज से लगभग ढाई सौ बरस पहले इस समाज के दबे कुचले निचले  वर्ग का मनोबल बढ़ाने, उनके आत्मसम्मान को जागृत करने, उसमें साहस भरने, संगठित रहने एवम् विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से दूर रहने का संदेश दिए। बाबा ने उस समय की सामाजिक विषमता को देखा जिसमें समाज का एक वर्ग हर स्थान पर भेदभाव का शिकार हो रहा था। और उनके पास आर्थिक संसाधन भी नहीं थे।
सन्तोष टांडे ने कहा हमने दस दिन पहले से ही जयंती के  लिए तैयारी में लगे थे दोपहर दो बजे युवाओ ने बाइक रैली निकाली थी 4 बजे से बाबा की शोभायात्रा शहर के तीनों मार्गो में  निकाली गई गुरु घासीदास जी का मानना था की हम दूसरों से अपना हक अधिकार मांगने से पहले हमको स्वयं में सुधार करने की जरूरत  हैं। क्योंकि उस समय की सामाजिक व्यवस्था के कारण इस वर्ग के लोग स्वयं भी कई प्रकार के दुर्गुणों एवम् सामाजिक बुराइयों से ग्रसित थे।
विवेकानंद मिर्रे ने कहा बाबा ने समाज के लोगों में व्याप्त सामाजिक बुराई जैसे, नशा-पान ,मांसाहार सेवन, पशु क्रूरता से दूर रहने की बात कही थी। बाबा ने आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया और उस ज्ञान को समाज के बीच प्रचारित किया था।
पीआर अजय ने कहा कि बाबा का कहना था कि सभी मनुष्य एक समान है।कोई छोटा या बड़ा नहीं है, ईश्वर ने सभी मानव को एक जैसा बनाया है। इसलिए जन्म के आधार पर ऊंच-नीच नहीं होना चाहिए।
जनार्दन पंकज ने कहा कि बाबा मानते थे कि सत्य ही ईश्वर है । हमेशा व्यक्ति को सच ही बोलना चाहिए उन्होंने समाज में यह संदेश भी दिया की लोगों को किसी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए,चोरी नहीं करना चाहिए, व्यभिचार से दूर रहना चाहिए।
अर्जुन रत्नाकर ने कहा बाबा ने समाज को आर्थिक एवम् सांस्कृतिक रूप से मजबूत करने का अभियान भी छेड़ा। वो स्वयं एक कृषक के रूप में काम करते थे।खेती में ज्यादा से ज्यादा कैसे उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। मिश्रित खेती के बारे में लोगों को जागरूक किया करते थे।उनका मानना था कि व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत होने से ही स्वाभिमानी हो सकता है।
सत्या मिर्रे ने कहा कि सैकड़ों वर्षों के बाद भी आज हम देखते हैं तो पाते हैं कि यह समाज आज भी वही है। जहां हजारों वर्ष पूर्व था।कुछ लोग जरूर आगे बढ़े हैं। लेकिन बहुसंख्यक समाज आज भी वही सामाजिक कुरीतियों, धार्मिक आडंबरों में फंसा हुआ है। जहा से हम सब को निकल कर बाबा के बताए मार्गे पर आगे बढ़ना चाहिए
घुरु घांसी दास जयंती पे मुख्य रूप से  पीआर अजय, जनार्दन पंकज, ,संतोष टाण्डे, बोधराम सक्सेना, विवेकानंद मिर्रे, सत्या मिर्रे, पीसी आंनद, देवेन्द्र पाल धिरही, शिव टण्डन, लक्ष्मण मिर्रे, राधे डहरिया, आर के बर्मन, अर्जुन रत्नाकर, रामरतन समारू श्याम सुंदर भारद्वाज, खगेश डहरिया, बीआर धिरहि ,राजकुमार बर्मन, कृष्ना मिर्रे, अनिल मिर्रे, राजू भारद्वाज, भोजराम भारद्वाज, प्यारे लाल, सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।