परामर्श से मिला जीने का मार्ग..पढिये पूरी खबर…

सूरजपुर✍️

 

परामर्श से मिला जीने का मार्ग

स्पर्श क्लिनिक से मिल रहा मानसिक तनाव में जी रहे लोगों को नवजीवन

सूरजपुर

लगभग छह माह पूर्व जब 23 वर्षीय राजू (बदला हुआ नाम) 23 पहली बार अपने मित्र के साथ स्पर्श क्लिनिक आया था, वह काफी परेशान था। उससे अवसाद था जिसके चलते उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन था।

“अकेले रहना उसको अच्छा लगता था। भविष्य के बारे में कुछ भी सोच विचार करने में असमर्थ होने के कारण मन में आत्महत्या के विचार आने लगे थे। उसके इस बदले हुए व्यवहार को उसके दोस्त ने देखा और उसे जिला चिकित्सालय के स्पर्श क्लिनिक में ले आया,’’ क्लिनिक के वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी नन्द किशोर ने बताया ।

स्पर्श क्लिनिक में मनोचिकित्सक डॉ. राजेश पैकरा ने राजू से परामर्श किया और कुछ दवाइयां और साइकोलॉजिस्ट सचिन मातुरकर द्वारा काउंसलिंग, साइकोथेरेपी एवं फैमिली थेरेपी की नियमित सलाह दी जो 3 माह चली। अब राजू पूरी तरह से स्वस्थ है और अब प्राइवेट नौकरी कर रहे है। वह अपने परिवार के साथ सुखी जीवन जी रहे हैं।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत राज्य के समस्त जिला चिकित्सालय में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए स्पर्श क्लिनिक की स्थापना की गई है। जिला चिकित्सालय सूरजपुर में स्थापित स्पर्श क्लिनिक से लोगों को नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य में लाभ मिल रहा है।

इसी प्रकार का एक और अनुभव साझा करते हुए वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी नंदकिशोर ने बताया एक महिला पति की शराब की आदत से इस कदर परेशान थी कि वह अपनी जीवन लीला समाप्त करने का सोचने लगी। एक दिन मितानिन दीदी को उसने पति की आदत के बारे में बताया ।

सुबह- शाम पीने के अलावा वह कोई काम नहीं करता था। मितानिन उसे जिला चिकित्सालय में संचालित स्पर्श क्लीनिक लेकर आयी । कैलाश (बदला हुआ नाम) रोज़ शराब का सेवन करता था लेकिन वह भी इस नशे से मुक्ति चाह रहा था । मनोचिकित्सक ने उससे बातचीत की और उसे विश्वास में लेते हुए कुछ दवाइयां नियमित सेवन करने के लिए दी गई । साथ ही उनकी पत्नी की सोशल वर्कर प्रियंका मंडल के द्वारा फैमिली काउंसलिंग की गई। उनसे कहा गया कि उन्हें पति के सहयोगी व् दोस्तों से संपर्क कम कराना है । परिवार के सदस्य ज्यादा से ज्यादा साथ में रहने की कोशिश करें । फैमिली काउंसलिंग के माध्यम से घर में एक वातावरण निर्मित कराया जिससे कैलाश की नशे की इच्छा होने पर भी वह अपने नशे की चीज को ना इस्तेमाल करें । कोशिश धीरे-धीरे रंग लाई और कैलाश नशे से दूर होने लगा ।

“हमने कैलाश को 21 दिन के बाद दोबारा काउंसलिंग के लिए बुलाया। इसमें हमने उनसे शराब नही पीने पर हुए लाभ के बारे में चर्चा की। कैलाश ने खुलकर बताया मस्तिष्क पर जो भारीपन लगता था वह खत्म हो गया साथ ही परिवार की उपयोगिता जीवन में समझ आई। यह प्रक्रिया लगभग 6 माह में पूरी हुई और उसने नशे से दूर रहने की शपथ ली है । कैलाश नशे का सेवन करना बंद कर दिया है और वह अपने गांव एवं आसपास के लोगों को भी नशा नहीं करने व नशा छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे है,’’ नन्द किशोर ने बताया।

कैलाश का कहना है उससे स्पर्श क्लीनिक में आने से एक नई जिंदगी मिली है ।