रसोइया संघ के सदस्य बीते 34 दिन से कर रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल अब तक कोई सुध लेने वाला नही….

पत्थलगांव ✍️जितेन्द्र गुप्ता

पत्थलगांव जनपद पंचायत के पास पत्थलगांव ब्लाक के रसोइया संघ के सदस्य बीते 34 दिन से कर रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल अब तक कोई सुध लेने वाला नही

पत्थलगांव के जनपद पंचायत के पास ब्लाक के रसोइया संघ के सदस्य छतीसगढ़ रसोइया संघ के आह्वान पे अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर बीते 34 दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए है। पर अब तक इन लाचार और छोटे कर्मचारीयो का कोई सुध लेने वाला अब तक नही आया आपको बता दे कि ये रसोइया मात्र 1500, रु के वेतन पे स्कुलो में बच्चो को खाना बना कर खिलाते रहे है। जहाँ इतने कम वेतन जो मात्र 1500, रु.ही है। सोचिए आज के महंगाई भरे दिनों में ये रसोइए कैसे उन 1500, रुपयों से अपना और अपने घर का गुजर बसर करते होंगे जहाँ आये दिन शासन से लेकर प्रशासन के नुमाइंदे बड़े बड़े बाते करते हर तरफ दिख तो जाएंगे पर कभी लाचार और एकदम छोटे लोग जो महीने भर से बजी ज्यादा समय से अपनी तीन छोटी छोटी मांग को सरकार से मानने की बात कह रहे है। पर देखिए अब तक कोई सुनने को तैयार नही कैसे ये रसोइये अपने मांग को लेकर दूर दूर से कोई बस से तो कोई पैदल कोई साइकिल से तो कोई कितने रुपये खर्च कर अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठने पहुच रहे है कि शायद उनकी मांग सरकार मान ले और हम भी अपने परिवार का भरण पोषण ठीक तरह से जर संके। पर इन रसोइयो की किस्मत इतनी कहा कि सरकार में बैठे नेता या अफसर इनकी कोई सुध भी लेले।


जहाँ अन्य बड़े संग़ठन जो हड़ताल जितने फिन भी कर ले फर्क नहीं पडता उससे ठीक उलट गरीब और बेबस रसोईया लोग इतने बड़े संघटन का हिस्सा भी नही है। और पैसो को लेकर मजबूत भी नही की बिना काम करे अपना घर चला सकेंगे पर कर रहे है। हड़ताल की आज नही तो कल सरकार हमारी सुनेगी पर अब तक कुछ भी होता दिख नही रहा ब्लाक रसोइया संघ के अध्यक्ष गुरबारु राम ठेकान ने कहा कि हम लोग 4 सितंबर से तीन सूत्रीय मांग को लेकर हड़ताल में बैठे है। पर अब तक कोई हम लोग की सुध भी नही ले रहा। जबकि हम लोग कलेक्टर दर से हम लोगो को मेहनताना देने की मांग कर रहे है। जो हमारा अधिकार है। 10 दिसम्बर तक हमारी बात नही सुनी जाती है तो हम सभी राजधानी रायपुर जाकर वही हड़ताल करेंगे पर अपना हक लेकर रहेंगे।

नुरतम यादव फ़रसाटोली ने बताया कि वे 1996, से कार्य कर रहे है। तब 300 रु, हमे मिल रहा था ये उन्मीद में काम करते रहे कि आज नही तो कल हमारी भी कोई सरकार सुनेगी 26 वर्ष हो चुके मैं अपने घर परिवार के लिए क्या कर पाया बच्चो को पढ़ाने लिखाने के लायक भी पैसा नही बचता हमारे पास आखिर हम गरीब कर्मचारियों का कब सुनेगी सरकार।

हड़ताल में बैठे महिला रसोइयो ने बताया कि जब से हम हड़ताल में है। तब से स्कूल अपनी ब्यवस्था बनाते हुए अन्य खाना बनाने वाले रखे लोगो को 150, से 200, रु. रोजाना दे रहे है। पर हम इन रसोइयो को मात्र 1500 रु. महीना आखिर एसा क्यो।