विश्व बैंक की पाली रेंज में एकमात्र संचालित अति महत्त्वपूर्ण ESIP योजना में रेंजर जोगी ने फर्जी मस्टररोल से किया 94 लाख का भ्रष्टाचार…वन प्रबंधन समिति के सदस्य करेंगे कलेक्टर व डीएफओ से शिकायत व निष्पक्ष जांच की मांग

कोरबा,✍साकेत वर्मा… 

पाली। कटघोरा वन मण्डल में तत्कालीन रहे विवादित एवं चर्चित डीएफओ श्रीमती शमा फारुखी के कार्यकाल में पाली रेंज के रेंजर के.एन. जोगी ने अपने पदस्थापना के दौरान ही एक बड़े भ्रष्टाचार के खेल को अंजाम देते हुए कोरबा जिले के एकमात्र पाली रेंज अंतर्गत बतरा सर्किल में विश्व बैंक की संचालित अति महात्त्वकांक्षि योजना ईएसआईपी में भारी घोटाला करते हुए 94 लाख के बोगस भुगतान को बेफिक्र होकर अंजाम दे दिए!बतरा सर्किल अंतर्गत संचालित वन प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा ग्रामीणों के साथ मिलकर जिस पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर एवं डीएफओ से कर निष्पक्ष जांच तथा कार्यवाही की मांग जल्द ही करेंगे।

विश्व बैंक की महत्त्वपूर्ण ईएसआईपी (पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं में सुधार परियोजना) जिले भर में कटघोरा वन मण्डल अंतर्गत पाली रेंज के बतरा सर्किल में एकमात्र संचालित है। यहां 1300 हेक्टेयर वनक्षेत्र में फेंसिंग,मरम्मत,गेवियनमरम्मत,ठूठ एकलीकरन सहित वनों के संरक्षण संवर्धन व सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य के लिए चालू प्रोजेक्ट अवधि 2019 से 2022 तक के लिए 1231 लाख रुपए की स्वीकृति हुई थी!कार्य प्रारम्भ तो तात्कालीन रेंजर रहे प्रहलाद यादव के समय हुआ था लेकिन उनके अन्यंत्र स्थानांतरण व रेंजर के.एन जोगी द्वारा अपने पदस्थापना के दौरान ही बिना काम कराए वर्ष 2020- 21 के दिसंबर माह में 94 लाख रुपए का भुगतान फर्जी प्रमाणक के सहारे कर दिया,तथा लाखों की राशि का बोगस भुगतान जिन मजदूरों के नाम पर किया गया उसमें स्थानीय लोगों का नाम ही नही और अधिकांश बिलासपुर,चाम्पा,रायपुर के लोगो का नाम फर्जी ढंग से मस्टररोल में भरकर मिलीभगत से भारी भरकम राशि का बन्दरबांट कर लिया गया!विश्वसनीय सूत्रों के मुताबित जिन मजदूरों के नाम से बोगस भुगतान किया गया है उनमें रेंजर, डिप्टी रेंजर व बीटगार्ड के नाते- रिश्तेदारों के होने की बात सामने आयी है!अब इस भ्रष्ट्राचार की गहराई का पता तो निष्पक्ष जांच के बाद ही चल सकेगा,किन्तु ईएसआईपी योजना को वन अधिकारियों- कर्मचारियों ने पूरी तरह कमाई का जरिया बनाकर रख डाला!जिस योजना के तहत बतरा सर्किल में 2019 से कार्य प्रारम्भ हुए और आश्चर्यजनक ढंग से एक वर्ष में ही 4 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर दी गई वह भी कागजों में!जबकि बतरा सर्किल अंतर्गत वन प्रबंधन समिति कर्रा- नावापारा के तत्कालीन अध्यक्ष नारायण सिंह पोर्ते का कहना है कि वन विभाग ने उनके 5 वर्षीय कार्यकाल में पूर्व संचालित विश्व बैंक की ग्रीन इंडिया मिशन तथा वर्तमान ईएसआईपी योजना के अंतर्गत क्या क्या कार्य करवाया है उन्हें कोई जानकारी नही है, बस उनसे रेंजर व डिप्टी रेंजर द्वारा हमेशा बैंक विड्रॉल फार्म में हस्ताक्षर करा लिया जाता था!वहीं करीब दो- ढाई माह पूर्व नवनिर्वाचित समिति के अध्यक्ष शिवशंकर सिंह पोर्ते ने बताया कि बतरा सर्किल में ईएसआईपी योजना में व्यापक तौर पर भ्रष्ट्राचार किया गया है जिसकी कोई भी जानकारी रेंज अफसर व अन्य कर्मियों द्वारा उन्हें नही दी जा रही!कर्रा- नावापारा समिति के सदस्यों ने जिस मामले को लेकर गत 14 अप्रैल को ग्रामीणों के साथ बैठक रख ईएसआईपी योजना में किये गए वृहद घोटाले की मिलकर शिकायत करने का निर्णय लिया है और जल्द ही वे कलेक्टर व कटघोरा वर्तमान डीएफओ से लिखित शिकायत कर उक्त योजना के पूरे कार्यों की उनकी उपस्थिति में निष्पक्ष जांच व कार्यवाही की मांग करेंगे।ईएसआईपी योजना के कार्यों का पूरा भुगतान संदेह के दायरे में है,और यदि निष्पक्ष जांच हुई तो यकीनन मरवाही वन मण्डल की तरह कटघोरा वन मण्डल के अनेक अधिकारी- कर्मचारी भी नप जाएंगे।