रीपा में निर्मित स्थानीय राखियों से सजेंगी भाइयों की कलाइयाँ स्थानीय स्तर पर ही राखियों का निर्माण कर बाजार में कराया जा रहा उपलब्ध…….

 

 

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर / रक्षाबंधन, भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व, जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। जहां एक ओर इस त्योहार में चाइना से बनी राखियों से बाजार भर जाता है, और देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा दूसरे देश में चले जाता है। वही इस वर्ष छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांछी योजना महात्मा गांधी रुरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) अंतर्गत स्थानीय स्तर पर ही राखियों का निर्माण कर बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है।

कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देशानुसार एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत लीना कोसम के मार्गदर्शन में जिले के कृष्णपुर ग्राम पंचायत में स्थापित रुरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) में बिहान योजना द्वारा गठित महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा स्थानीय स्तर पर ही हस्तनिर्मित राखियों का निर्माण किया जा रहा है। समूह की महिलाओं के द्वारा सब्जियों के बीज, धान, बांस, मोतियों और रंग बिरंगे धागों से आकर्षक राखियों का निर्माण किया जा रहा है। ये रखियाँ स्थानीय कला के माध्यम से बनाई गई हैं, और इनमें स्थानीय संस्कृति और परंपराओं की छवि दिखाई जाती है।

विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक माधुरी भंडारी ने बताया की विकासखंड में महिला स्व सहायता समूह में महिलाओं द्वारा पूर्व में भी त्योहारों में रंग बिरंगे दिये, रखियाँ, गुलाल आदि का निर्माण करते आ रही है, किन्तु पहले यह बहुत सीमित मात्रा में ही किया जाता था। विगत वर्षों में उत्पादों का विक्रय कर महिलाओं में इस कार्य को करने का उत्साह बना हुआ था, किन्तु स्थान एवं पूंजी के अभाव में वे इसे वृहद स्तर पर नहीं कर पाती थी। छत्तीसगढ़ शासन की रीपा योजना से मशीनरी एवं सीड केपिटल मद से 11 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त हुआ एवं एक बड़ा शेड का निर्माण किया गया है। उक्त आर्थिक सहायता से महिलाओं द्वारा राखी, दिया, कपूर, मोमबत्ती, गुलाल, और अन्य त्योहार आधारित सामाग्री एवं पूजा सामग्री का निर्माण प्रारम्भ किया गया है।

माया स्व सहायता समूह की सदस्य सुनीता ने बताया की रीपा योजना द्वारा मिली आर्थिक सहायता से उनके समूह के सदस्यों ने इस बार अब तक 1.5 लाख रुपए से अधिक मूल्य की राखियाँ तैयार की गयी हैं, उक्त रखियों को स्थानीय बाज़ारों में होलसेल दुकानों में विक्रय किया जा रहा है, साथ ही जिला, विकासखंड मुख्यालय, विभिन्न हाट-बाजार जैसे महत्वपूर्ण स्थानो में स्वयं भी स्टाल लगा कर विक्रय किए जाने की तैयारी की गयी है। समहू द्वारा तैयार राखियाँ 10, 15, 20, 30, 40, 50 रुपये में उपलब्ध रहेंगी। यह राखियाँ बाजार में उपलब्ध चाइनीज राखियों से भी सस्ते रेट पर विक्रय के लिए उपलब्ध रहेंगी। राशियों के अलावा समूह के सदस्यों द्वारा द्वारा राखी, दिया, कपूर, मोमबत्ती, गुलाल, और अन्य त्योहार आधारित सामग्री एवं पूजा सामग्री का निर्माण प्रारम्भ किया गया है।