आजादी के अमृत महोत्सव पर भी पक्की सड़क को तरस रहा है एक गांव….

 

 

सूरजपुर/  आजादी के अमृत महोत्सव पर भी पक्की सड़क को तरस रहा एक गांव पर्री सूरजपुर जिला मुख्यालय से लगा हुआ है। लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी अब तक पक्की सड़क नहीं बन सकी है बरसात के दिनो ग्रामीणों को परेशानी और बढ़ गई है कीचड़ से सराबोर सड़क को पार कर बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। वहीं गांव के विद्यार्थी भी कीचड़ भरे सड़कों में चलकर 5 किलोमीटर दूर सूरजपुर या डुमरिया स्कूल पढऩे जाते हैं। गांव के किसी व्यक्ति की तबीयत अधिक खराब हो जाती है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेस भी समय पर नहीं पहुंच पाता है। किसी तरह स्वजन वाहन की व्यवस्था कर लेते हैं तो कीचड़ युक्त सड़क से वाहन को निकालना किसी चुनौती से कम नहीं ।

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, मगर आजादी के 75 साल बाद भी पर्री से मेन रोड सूरजपुर मार्ग नहीं बन सका है। ग्राम पर्री से 5 किलोमीटर की दूरी पर जिला मुख्यालय सूरजपुर है। सूरजपुर या भैयाथान जाने के लिए मेन रोड तक गांव से लोगों को पैदल तक चलना मुश्किल हो गया है। सरकार की पीएमजीएसवाई और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क जैसी योजना के बाद भी आजादी के 75 साल बीत जाने पर यहां पक्की सड़क नहीं बन सकी है। लगातार हो रही वर्षा की वजह से मार्ग कीचड़ से सराबोर हो गया है जिसकी वजह से लोगों को सूरजपुर जिला मुख्यालय जाने के लिए 5 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ रही है। छोटे छोटे बच्चों को आंगन बाड़ी व विद्यार्थियों को पर्री स्कूल आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर गांव में यदि कोई घटना हो गई हो या किसी का स्वास्थ्य खराब हो तो लोगों को 108 और 112 के आने के लिए कई घंटे तक इंतजार करना पड़ता है । बरसात के दिनों में पर्री के ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ गई है। आजादी के 75 साल बाद भी ग्रामवासी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं। सोसायटी जाने किसानों को 5 किलोमीटर सूरजपुर का सफर तय करना पड़ता है। वहीं पास के प्रमुख नगर व थाना जाने के लिए 5 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है।

देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है, मगर आजादी के 75 साल बाद भी पर्री मार्ग नहीं बन सका है। वर्षा होने पर पर पर्री मार्ग मेें बड़े बड़े गड्ढे होने से पानी भर गया है। हालत इस प्रकार हो चुकी है की शायद इसमे रोपा लगा दिया जाए तो बहुत अच्छी फसल हो सकती है। जर्जर होने के कारण कई बाइक चालक गिरकर घायल हो गए हैं।

* समय पर नहीं पहुंच पाती एंबुलेस – युवा व्यवसाई संदीप कुशवाहा का कहना है कि बरसात के दिनों में कीचड़ से सराबोर सड़क को पार कर बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। वहीं गांव के विद्यार्थी भी कीचड़ भरे सड़कों में चलकर तीन किलोमीटर दूर सूरजपुर पढऩे जाते हैं। गांव के किसी व्यक्ति की तबीयत अधिक खराब हो जाती है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेस भी समय पर नहीं पहुंच पाता है। किसी तरह स्वजन वाहन की व्यवस्था कर लेते हैं तो कीचड़ युक्त सड़क से वाहन को निकालना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। किसानों को खाद- बीज के लिए सूरजपुर सोसायटी जाना पड़ता है। कीचड़ की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इतनी समस्या होने के बाद भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने कभी इस गांव की सुध नहीं ली। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा भी कभी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

* सड़क नहीं बनी तो करेंगे चुनाव का बहिष्कार – ग्राम पंचायत पर्री के समस्त ग्राम वासियों का कहना है कि ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव की लापरवाही के कारण आज गांव में परेशानियां उत्पन्न हो रही है।अगर चाहते तो मनरेगा से मिट्टी मुरूम का कार्य करा सकते थे। लेकिन चुनाव जीतने के बाद कुंभकरण की नींद सो रहे हैं। और इधर जनता परेशान हो रही है जनप्रतिनिधि भी वोट लेने के बाद इस गांव की ओर दुबारा मुड़कर नहीं देखे। चुनाव के समय हाथ जोड़कर वोट मांगने वाले नेता अब उनके गांव क्यों नहीं आते। पर्री वासियों को जनप्रतिनिधियों ने उनके हाल पर छोड़ दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जल्द से जल्द सड़क का निर्माण नहीं हुआ तो वे सभी ग्रामवासी मतदान का बहिष्कार करेंगे।