कछार शिव मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा चैत्र नवरात्र रोजाना माता की रसोई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे दानदाता वही माता का जगराता में चन्द्रमणि यादव ने बांधा समा…

पत्थलगांव✍️जितेन्द्र गुप्ता

कछार शिव मंदिर में धूमधाम से मनाया जा रहा चैत्र नवरात्र रोजाना माता की रसोई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे दानदाता वही माता का जगराता में चन्द्रमणि यादव ने बांधा समा


आज बुधवार को अष्टमी के दिन शिव मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़ सभी हुए माता की भक्ति में लीन वही आरती पश्चात जिले के प्रसिद्ध कलाकार चन्द्रमणि यादव ने माता की जगराता कार्यक्रम में जम कर माता की भजन गाकर भक्तों को भक्ति मय किया सभी ने जगराता में नाचे गाये जब भी मंदिर में जगराता होता है। तब भक्तों की भक्ति देखते ही बनती है और जिस तरह से चूड़ामणि यादव ने माता की भक्ति गीत जिसमे छतीसगढ़ देवी गीत से लेकर सभी तरह के भजनों को गाकर सभी को थिरकने पे मजबूर कर दिया


मंदिर में रोजाना लगने वाले माता की रसोई में भी दानदाता मन से खुल कर सहयोग कर रहे है। यही कारण है कि कछार शिव मंदिर में रोजाना भक्तों की भीड़ बढ़ती ही चली जा रही है।


कोई तन दुःखी कोई मन दुखी कोई धन बिन रहत उदास। थोड़े थोड़े सब दुखी सुखी राम के दास।।
वाराणसी से कछार शिव मंदिर में पूजन करने आये आचार्य चन्द्रेश्वर मिश्रा ने बताया कि इस संसार में कोई भी ऐसा नहीं है जो सुखी हो कोई धन से तो कोई मन से कोई अपने शरीर से कोई कलह से किसी न किसी रूप सभी दुःखी हैं। लेकिन फिर भी किसी को समझ नहीं आता लेकिन हकीकत यह है। कि सुखी मात्र राम सीता के दास ही हो सकते हैं। दुसरा कोई नहीं हो सकता जब जन्म हुआ है ।तो मरना भी है यह सत्य है। तो भगवान भी है। यह भी सत्य है तो जब मरना ही है। तो जीवन में कुछ श्रेष्ठ कर्म धर्म करें जिससे भगवान भी कहें कि इस मानव को धरती पर भेजकर मैं बहुत खुश हूं यह मानव संसार के मोह माया से लोभ पाप से दूर रहा अब इसको जन्म मरण से अलग रखा जा सकता है। इसलिए हम भक्तों को चाहिए कि ऐसा कर्म धर्म करें कि भगवान हमें जन्म मरण के चक्र से मुक्त कर दे अपने चरण शरण में हमें रख लें


आचार्य चन्द्रेश्वर मिश्रा ने नवरात्रि महोत्सव के बारे में बताया और कहा कि मानव जीवन को सफल बनाने हेतु मात्र केवल अपने आप को इश्वर के चरणों में समर्पित कर देना मां के प्रति जितनी श्रद्धा समर्पण रखेंगे उतना ही बड़ा आपको पाज़िटिव उर्जा प्राप्त होगी और आपके अन्दर जो भी निगेटिव शक्ति है। वे समाप्त हो जाती है। और धीरे धीरे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

धर्म करने वाले को अहंकार कभी नहीं करनी चाहिए अहंकारी व्यक्ति को कभी भी सफलता नहीं मिलती वास्तव में जो देवी देवता पुजन में श्रद्धा रखने वाले भक्त है। उनके अन्दर लोभ मोह माया अहंकार इत्यादि आ नहीं सकता कितने भक्त लोग ऐसे भी हैं। जिनको धर्म के मार्ग पर चलने पर काफी कठिनाई की सामना करना पड़ता है और बाद में कठिनाई नहीं सहन कर पाते और धर्म से भटक जाते हैं ऐसे भक्तों से कहना है भगवान आपकी उस समय परीक्षा लेते हैं उस समय परीक्षा में जो सफल होता है उसी को भगवत् भक्ति प्राप्त होता है। और अन्त सबरी मीरा तुलसीदास कबीर सुर दास की तरह गति प्राप्त होती है।