मुख्यमंत्री के गढबो नवा छत्तीसगढ़ को अधिकारियों ने दिखाया ठेंगा, शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र प़तापपुर में 14वें वित्त की राशि में करोड़ों की हेराफेरी……

 

 

 

* बेख़ौफ़ अधिकारी , निरंकुश कर्मचारी, पंचायतों से दस्तावेज गायब…..

प्रतापपुर

छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के जनपद पंचायत प़तापपुर में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के ठीक पहले से लेकर नव गठित पंचायत गठन तक शासन के 14वें वित्त की राशि में उच्च अधिकारियों कि सह पर भारी बंदरबांट किए जाने की खबर मिल रही है।

 

खबर है कि जनपद पंचायत प्रतापपुर के ग्राम पंचायतो मे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एवं कोरोना काल का फायदा उठाकर 14वें वित्त की राशि को सरपंच और सचिव मिलकर डकार गए। हुवा युही पंचायती राज चुनाव की घोषणा के बाद आदर्श आचार संहिता लागू हो गई जिसके बाद पुराने सरपंच अपने चुनाव में व्यस्त हो गए जिसका फायदा उठाकर ग्राम पंचायत के सचिव जनपद सीईओ के साथ मिलकर राशि का बंदर बांट कर दिए इस दौरान सचिवों के द्वारा फर्जी प्रस्ताव बनाकर जनपद सीईओ से मिली भगत कर करोड़ों के राशि हजम कर गए ।

* जनपद सीईओ की लगती थी अनुशंसा.

त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनाव के आचार संहिता लगने के बाद ग्राम पंचायत के सचिवों द्वारा राशि आहरण करने पर जनपद पंचायत के सीईओ की अनुशंसा लगता था आखिर ग्राम पंचायत की राशि जो सीधे पंचायत के खाते पर आई है उसमें जनपद सीईओ की अनुशंसा बिना नियम कानून के लगना जांच के दायरे में आता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन प्रस्तावों में जनपद सीईओ की अनुशंसा होती थी उसमें ग्राम पंचायत के सरपंचों व पंचों का हस्ताक्षर नहीं होता था और राशि आहारण हो जाता था जो एक गंभीर विषय है।

* किस काम के हैं पंचायत इंस्पेक्टर व करारोपण अधिकारी.

ग्राम पंचायतों में शासन द्वारा मिले राशि के उपयोग और खर्च की हिसाब के लिए बकायदा केसबुक और लेजर बुक मेंटेन किया जाता है लेकिन अधिकांश पंचायतों में वर्ष 2019 -20 का रिकार्ड उपलब्ध नहीं है समय-समय पर इन दस्तावेजों का जांच की जिम्मेदारी पंचायत इंस्पेक्टर व संबंधित करारोपण की है लेकिन उनके द्वारा कभी भी सही ढंग से दस्तावेजों की जांच नहीं की जाती है जिसके वजह से पंचायतों में बिल वाउचर व अन्य रिकार्ड उपलब्ध नहीं है जिसमें इन अधिकारियों की भी संलिप्तता साफ नजर आती है।

* फर्जी वेंडर बनाकर करोड़ों का भुगतान.

14वें वित्त की राशि में जब से ऑनलाइन भुगतान की पद्धति आई है तब से अधिकांश सरपंच इस बारे में समझ नहीं पाते हैं जिसका फायदा ग्राम पंचायत के सचिव पूरी तरह से उठाते हैं ऑनलाइन भुगतान हेतु इनको डीएससी दिया जाता है जिसे सरपंच नही सचिव ही रखते है और मनमाने ढंग से इसका उपयोग फर्जी वेंडर बनाकर भुकतान ले लेते है जिससे विकास कार्य सहित छत्तीसगढ़ सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा चुका है जिसकी जांच होना अति आवश्यक है।