आज के युग में महिलाओं को सशक्त होना अति आवश्यक है। अमृता गुप्ता…

पत्थलगांव ✍️जितेन्द्र गुप्ता

आज के युग में महिलाओं को सशक्त होना अति आवश्यक है। अमृता गुप्ता

समाज सेवी व अनेक बार पुरुस्कार प्राप्त कर चुकी शिक्षिका अमृता गुप्ता के द्वारा अनूठी पहल किया गया। उन्होंने मुडेकेला ग्राम में बेरोजगार महिलाओं को पहले मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दिलवाई फिर हर्बल गुलाल की ट्रेनिंग दिलवाकर महिलाओं को सशक्त बनाने का अनूठा प्रयास किया। उनका कहना है, कि प्रत्येक महिलाओं में कुछ न कुछ खास गुण अवश्य होता है। हम सब को अपने उस हुनर को पहचान कर सशक्त जरूर बनना चाहिए उन्होंने डुमरबहार के वेज्ञनिक से संपर्क कर मशरूम की खेती और हर्बल गुलाल बनाने की कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्य महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु मील का पत्थर साबित हो सकता है। पापड़,आचार,बैग,झाड़ू और टोकरी बनाने की ट्रेनिंग भी अमृता के द्वारा जल्द दिलाया जायेगा।
कृषि विज्ञान केन्द्र जशपुर द्वारा स्व सहायता समूह की महिलाओं को हर्बल गुलाल निर्माण पर दिया जा रहा प्रशिक्षण


पत्थलगांव ब्लॉक के मुडे़केला पंचायत में कृषि विज्ञान केन्द्र डुमरबहार द्वारा स्व सहायता समूह की महिलाओं को हर्बल गुलाल निर्माण हेतु प्रशिक्षित किया गया है। महिलाओं द्वारा गुलाल निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है । कार्यक्रम में केन्द्र के विशेषज्ञ एस.के. भुआर्य द्वारा महिलाओं को हर्बल गुलाल निर्माण की प्रकिया बताते अरॉरूट पाउडर तथा चुकन्दर, सेम पत्ती, हल्दी से गुलाबी, हरी एवं पीले रंग की हर्बल गुलाल तैयार कराया गया साथ ही खुशबु हेतु लेमन ग्रास ऐसेंस एवं नीबू के पत्तियों का उपयोग किया गया एवं उनके द्वारा बताया गया कि कृषि विज्ञान केन्द्र में गेंदा और पलाश के पुष्पों के साथ ही लाल भाजी, पालक भाजी, पोई भाजी का पका फल से भी गुलाल का निर्माण किया गया साथ ही उनके द्वारा यह भी बताया गया कि फूलों एवं पत्तयों या कंदो से निर्मित हर्बल गुलाल की कीमत बाजार में 200-250 रूपये प्रति किलो है अतः जिन शाक सब्जियों की पत्तियों व्यर्थ हो जाती है। उनकी प्रसंस्करण की माध्यम से हर्बल गुलाल निर्माण कर अच्छे लाभ भी कमाया जा सकता है ।
प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र प्रभारी डॉ. प्रदीप कुजूर द्वारा जानकारी दिया गया कि भारत में विभिन्न त्यौहारों में अलग-अलग रंगों का उपयोग खुशी प्रकट करने के लिये किया जाता है, लेकिन वर्तमान स्थिति में बाजार में अलग-अलग रंगों में उपलब्ध रासायनिक गुलाल मानव शरीर के लिये अधिक हानिकारक है। रासायनिक गुलाल में ये आम तौर पर विशैले भारी धातु और एस्बेस्टोस या सिलिकान का एक संयोजक होता है। भारी धातुओं को प्रणालीगत विशाक्त कहा जाता है, जो शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे -किडनी, यकृत और हड्डियों का निर्माण में बाधा उत्पन्न भी करता है। इसी दृष्टिकोण से कृषि विज्ञान केन्द्र,डूमरबहार,जशपुर ने विभिन्न वानस्पत्तिक रंगों के गुलाल निर्माण की प्रक्रिया स्व सहायता समूह के माध्यम से शुरू कर दी है जो विशुद्ध रूप से कार्बनिक है और मानव शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं है, इसे त्यौहार के साथ-साथ विभिन्न खुशियों के अवसर में भी उपयोग किया जा सकता है। इस संबध में भी कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा विभिन्न माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है और उनके द्वारा जिले वासियों से यह भी अपील किया गया कि समूह की महिलाओं का मनोबल बढ़ाने एवं लोगों की प्रकृति की ओर रूझान बढ़ाने हेतु अधिक से अधिक सहयोग करें । रासायनिक रंग एवं मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव – अधिकाधिक मात्रा में बाजारों में विक्रय होने वाला गुलाल रासायनिक अवयव से बनाया जाता है। इसके माध्यम एवं इसमें प्रयुक्त रंग पूर्णतः रासायनिक होता है। ये दिखने में अधिक चटकदार, आंखों को चुभने वाला एवं कृत्रिम गंधों से युक्त होता है। इसका मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। सस्ती और हाट-बाजारों में बिकने वाला रासायनिक गुलाल खतरनाक एवं विशाक्त होता है। जिसका सिर दर्द के साथ ही त्वचा स्कीन रेसेस, आंख, बाल, फेफड़ा आदि में दुष्प्रभाव देख जा सकता है। कार्यक्रम में मुडे़केला सरपंच जोर साय केरकेट्टा, एवं 30 महिला कृषक उपस्थित रहे ।