गबन के मामले में महीनों निलंबित रहने वाले सचिव चंद्रिका के भ्रष्ट आचरण में सुधार नही: बहाल होते ही सरपंच से मिलीभगत कर कोविड, मूलभूत व्यय के नाम पर मूलभूत मद से 1. 20 लाख की राशि निकाल किया बंदरबांट…

• जनपद अधिकारियों- कर्मचारियों का भरता है दंम्भ

पाली, राहुल वर्मा…✍

कोरबा/पाली :- ग्राम विकास तथा बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने हेतु पंचायत मद में आए जनता के पैसे का दुरुपयोग करते हुए निजी हित साधने वाले सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर को रतखण्डी पंचायत में लाखों के गबन मामले में महीनों निलंबित रखने के बाद भी उनके भ्रष्ट आचरण पर कोई सुधार नही आ पाया है और बहाल होते ही सरपंच से मिलीभगत कर कोविड और मूलभूत व्यय के नाम पर 01 लाख 20 हजार की राशि निकाल बंदरबांट कर लिया गया।

बता दें कि पूर्व में ग्राम पंचायत रतखण्डी का कार्यभार देखने वाले पाली ब्लाक के भ्रष्ट सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर द्वारा 2020 के पंचायत चुनाव में लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान 14वें वित्त से लाखों की राशि गबन किये जाने यहां के तत्कालीन सरपंच की ओर से की गई शिकायत पर जनपद अधिकारियों द्वारा जांच कर वसूली योग्य प्रतिवेदन बनाकर तत्कालीन जिला सीईओ को कार्यवाही हेतु रिपोर्ट भेजा गया था। जिस जांच रिपोर्ट में एक लाख आठ हजार चार सौ रुपए आहरण का प्रमाणक प्रस्तुत नही कर पाने पर सचिव चंद्रिका प्रसाद को विगत अक्टूबर 2020 में निलंबित किया गया था। जहां महीनों निलंबन रहने पश्चात बीते 6- 7 माह पूर्व इन्हें बहाल करने के साथ बारीउमराव ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी दी गई, जहां का कार्यभार सम्हालते ही सचिव चंद्रिका ने सरपंच जानकी बाई मरकाम से मिलीभगत कर कोविड एवं मूलभूत व्यय के नाम पर मूलभूत मद से एक लाख बीस हजार की राशि आहरण कर बंदरबांट कर ली। जिसका खुलासा जियोटैग से हुआ है। इस बाबत ऑनलाइन अवलोकन से राशि दुरुपयोग की जो जानकारी सामने आयी है उसके अनुसार आहरण की बाउचर तिथि 01 जनवरी 22 को कोविड व्यय 25 हजार, कोविड व्यय 13/10/21- 25 हजार, कोविड व्यय 26/10/21- 30 हजार, कोविड व्यय 01/11/21- 30 हजार और मूलभूत व्यय 12/11/21 को 10 हजार की राशि का उल्लेख है। जबकि कोविड व्यय के नाम पर जो तिथि दर्शाकर राशि निकाली गई है, उस तिथि में कोरोना का संक्रमण काफी नियंत्रित हो चुका था तथा कोविड 19 को लेकर शासन- प्रशासन द्वारा जो दिशा निर्देश लागू किये गए थे उसमें ग्रामीण- शहरी में सभी प्रकार की आंशिक छूट देने के साथ लोगों को भी राहत दी गई थी। किंतु भ्रष्ट्र एवं शातिर सचिव द्वारा सरपंच के साथ मिलीभगत कर इस अवधि में भी कोरोना संक्रमण का बहाना बनाकर फर्जी बिल के जरिये मूलभूत मद से 1. 20 लाख की राशि निकालकर आपस मे बंटवारा कर लिया। सचिव चंद्रिका के ऐसे भ्रष्ट्राचार के अनेकों कारनामे है, जिन्हें एक- एक कर खबर के माध्यम से सामने लाया जाएगा।

भ्रष्ट कार्यप्रणाली सामने आने के बाद पंचायत आय- व्यय सम्बंधित दस्तावेजों के सुधार में लगा सचिव –

गबन मामले में महीनों निलंबन रहने और बहाली के साथ ही ग्राम पंचायत बारीउमराव की जिम्मेदारी सम्हालते ही सचिव चंद्रिका ने अपना गबनकला का प्रदर्शन शुरू कर दिया, जहां सरपंच के साथ मिलकर प्राथमिक शाला व आंगनबाड़ी भवन में रनिंग वाटर (सबमर्सिबल पंप व पाइप लाइन, सिन्टेक्स द्वारा साफ पेयजल की उपलब्धता) के नाम पर 15वें वित्त मद से 1. 94 लाख की राशि तीन माह पूर्व निकाल ली गई किंतु धरातल पर एक ढेला भी काम नही कराया गया और उक्त राशि आपस मे बांट ली गई। बीते दिनों जिस मामले की खबर प्रसारित करने पश्चात सचिव- सरपंच द्वारा आनन- फानन में रनिंग वाटर का कार्य प्रारंभ कराया गया। वहीं सचिव चंद्रिका द्वारा इस पंचायत में किये गए अनियमितता पर पर्दा डालने पंचायत के आय- व्यय सम्बंधित सभी कागजी दस्तावेज/अभिलेख सुधारने में लगा है। जिनके ऐसे कार्यशैली अच्छे कार्य करने वाले सचिवों की छवि धूमिल कर रही है।

जनपद अधिकारियों- कर्मचारियों का दंम्भ भरने वाले सचिव को आखिर किसका संरक्षण.?

जनपद के अधिकारियों- कर्मचारियों से मधुर संबंध होने की बातें कहते फिरते और दंम्भ भरने वाले शातिर सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर के भ्रष्ट कार्यशैली पर निलंबन के बाद भी सुधार न आ पाना चिंतनीय है। ग्राम पंचायत रतखण्डी में रहते हुए इन्होंने विगत पंचायत चुनाव में लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान तत्कालीन सरपंच श्रीमती सरस्वती देवी का फर्जी हस्ताक्षर कर 14वें वित्त से लाखों की राशि आहरण कर गबन कर दिया था, तत्कालीन सरपंच ने जिसकी शिकायत पाली जनपद अधिकारी से की थी। जिसकी जांच में शिकायत सही पाए जाने पर राशि वसूली एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु जिला सीईओ को जांच प्रतिवेदन भेजा गया था, तब जिला सीईओ द्वारा जांच प्रतिवेदन के आधार पर सचिव चंद्रिका के कृत्य को छग पंचायत सेवा के विपरीत पाते हुए निलंबित कर दिया गया था। जिनकी बहाली 6 से 7 माह पूर्व की गई है। लेकिन सचिव चंद्रिका के आचरण में कोई सुधार नही आ पाया, और बारीउमराव पंचायत में भी अपने भ्रष्ट कार्यशैली को अंजाम देने वाले सचिव के हौसले बुलंद है। जनपद के अधिकारियों- कर्मचारियों से अच्छे संबंध स्थापित होने की बाते व कुछ नही बिगड़ने का दंम्भ भरते फिरने वाले सचिव चंद्रिका को आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है.?