बुड़बुड़ खदान से कोयले की चोरी और तस्करी का खेल पुनः प्रारंभ, रात के अंधेरे में चल रहा काले हीरे का काला कारोबार, पुलिस की भूमिका संदिग्ध…

 

 

 

कोरबा/पाली :- जिले के पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह द्वारा अवैध कारोबार पर सख्ती से रोक लगाए जाने सभी थाना- चौंकी प्रभारियों को दिए गए निर्देश के बाद भी बुड़बुड़ कोयला खदान में महीनों पूर्व विराम लगे कोयले की चोरी और तस्करी का कारोबार एक बार फिर से जोर पकड़ने लगा है। संभावना जताई जा रही है कि वर्दी के संरक्षण में उक्त अवैध कार्य को पुनः अंजाम दिया जाने लगा है। कोयला चोरी का यह मामला अवैध कोयला लोड कर गंतव्य की ओर खपाने ले जा रहे हाइवा वाहन के फंसने के बाद सामने आया है।

एसईसीएल की सराईपाली परियोजना अंतर्गत बुड़बुड़ खदान में कोल माफिया दोबारा सक्रिय हो गए है, जो कोयले के काले कारोबार को रात के अंधेरे में अंजाम दे रहे है। जिनके द्वारा खदान प्रभावित आसपास ग्रामों के निवासी भोले- भाले ग्रामीणों को चंद पैसों का लालच देकर काले हीरे की चोरी करवाया जा रहा है तथा जिसे एक स्थान पर इकट्ठा कराकर बाद में ट्रक, ट्रेलर, ट्रेक्टर व पिकअप वाहन में लादकर तस्करी के माध्यम से बिलासपुर जिले में संचालित कोल डिपो में खपाने भेजा जा रहा है। जिसका खुलासा तब हुआ जब खदान से लगे ग्राम बुड़बुड़ में गुरुवार की रात करीब 1 बजे चोरी के कोयला का ट्रेक्टर के माध्यम से भंडारण कर और उसे हैंडलोडिंग के माध्यम से 10 चक्का हाइवा क्रमांक- CG10 AX 0817 में भरकर रतनपुर स्थित एक कोल डिपो में खपाने ले जाया जा रहा था कि बुड़बुड़ स्थित माध्यमिक शाला के समीप गीली जमीन में वाहन का पहिया बुरी तरह फंस गया। जिस कोयला लोड हाइवा को निकालने भरसक प्रयास किया जाता रहा, पर वाहन फंसी की फंसी रह गई। सुबह जब कोयला और वाहन के संबंध में वाहन चालक मनीष कुमार से जानकारी चाहने पर वह कोई पर्ची/बिल्टी नही दिखा सका तथा बताया कि हाइवा बिलासपुर निवासी दीपक अग्रवाल की है, जिन्होंने ग्राम बुड़बुड़ से कोयला लोड कर रतनपुर के एक डिपो में खाली कराने भेजा था। सूत्रों के अनुसार बुड़बुड़ खदान से रोजाना लगभग 3 से 4 ट्रेक्टर कोयले की चोरी और तस्करी पाली-ढुकुपथरा के रास्ते किये जाने की जानकारी सामने आ रही है। जिससे इस काले कारोबार से जुड़े लोग दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करने में लगे है। ग्राम बुड़बुड़ के पूर्व सरपंच तिरिथराम केशव व अन्य ग्रामीणों ने कोयला चोरी के बारे में बताया कि चोरी के पूरे मामले की जानकारी से एसईसीएल मैनेजर व स्थानीय पुलिस को अवगत कराया गया है। किन्तु इस मामले पर रोक लगाने को लेकर दोनों निष्क्रिय बने हुए है, परिणामस्वरूप काले हीरे की चोरी, तश्करी में लिप्त लोगों के बांछे खिल गई है। लगता है कि शायद वर्दीधारियों को भी इस कारोबार के पीछे अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है, संभवतः इसीलिए इस ओर से अपनी आंख मूंदे बैठे है। एक बात तो तय है कि बिना पुलिस संरक्षण के कोयले की चोरी और तस्करी का कार्य सम्भव नही। जो कार्य अवैधानिक होते है उन पर प्राथमिकता से रोक लगाना पुलिस का काम है लेकिन यदि वर्दीधारी ही अवैधानिक कार्यों को प्रश्रय दे तो फिर समाज मे अनैतिक कार्यों व अपराध को बढ़ावा मिलना जायज है। यदि यही हाल रहा तो पूर्व की भांति एक बार फिर स्थिति नियंत्रण से बाहर होते देर नही लगेगी, और तब “अब पछताय होत का…जब चिड़िया चुग गई खेत” वाली कहावत पुलिस पर चरितार्थ होगी।

✍️साकेत वर्मा /जिला प्रतिनिधि कोरबा