महिला जागृति एवं विधिक जागरुकता शिविर का हुआ आयोजन, महिलाओ को दी गई महत्वपूर्ण जानकारी….

 

 

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर/कलेक्टर सुश्री इफ्फत आरा के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रबेस सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन में जिले के विभिन्न सेक्टरों में महिला जागृति शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें महिलाएं एवं किशोरी बालिका भाग ले रही है।
महिला जागृति एवं विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन जयनगर में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल में किया गया। जिसमें जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने बताया कि महिलाओं (बालिकाओं) को शिक्षित बनाना अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि यदि कोई महिला शिक्षित होती है तो दो परिवार शिक्षित होता है। महिलाओं के शिक्षित होने से आने वाला जो पीढ़ी है वो भी शिक्षित होता है। जब महिला शिक्षित होती है, तो उसके ऊपर अत्याचार होना बंद हो जाता है। वह अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा सकती है। उन्होंने बच्चियों और महिलाओं पर होने वाले लैंगिक अपराध के संबंध में बताया लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की जानकारी सभी को दी, पॉक्सो एक्ट बच्चो को लैंगिक अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है। यदि कोई बच्चा को कोई घूर कर (गलत नियत) के साथ देखता है तो वह पॉक्सो के अन्तर्गत दोषी है। इसके अतिरिक्त बच्चों का पिछा करना, रास्ता रोकना, गलत इशारे करना, मोबाईल से गलत मेसेज भेजना, गलत बात करना और गलत नियत के साथ छूना सभी पॉक्सो के अन्तर्गत अपराध है। इसलिए बच्चों को गुड-टच और बैड-टच की जानकारी होनी चाहिए और बच्चों को इससे सावधान रहना चाहिए। जिले में बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध की घटनाऐं बढ़ती जा रही है। देखा जा रहा है कि नजदीकी रिश्तेदार या घर में आसानी से आने-जाने वाले लोग इस प्रकार की घटना को अंजाम दे रहे हैं। इससे सावधान रहने की जरुरत है। बच्चों को अपनी रक्षा के लिए टोल फ्री नं. 1098 का सहारा लेना चाहिए और किसी भी प्रकार से बाल अपराध को रोकने के लिए इस नम्बर में शिकायत भी करनी चाहिए।

महिलाओं के प्रति होने वाले घरेलु हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत महिलाओं को संरक्षित किया गया है। छ.ग. में गांव में महिलाओं को टोनही कह कर भी प्रताड़ित किया जाता है, जबकि यह अंध विश्वास है, टोनही कोई नहीं होता और न ही टोना होता है, इससे महिलाओं को संरक्षित करने के लिए टोनही प्रताड़ना अधिनियम बनाया गया है।
यूूनिसेफ के कोआर्डिनेटर जे.पी. वर्मा ने बताया कि बच्ची अपने बातों को अच्छे से रखना सिख जायेगी तो कल यही नारी बनने वाली है। स्कूलों में बच्चियों को सभी दृष्टि से मजबूत करना चाहिए। उन्हें अपनी समस्याओं के लिए घर में बड़ो से चर्चा करनी चाहिए।
सखी वन स्टाप सेंटर की केस वर्कर सुश्री साबरीन फातिमा ने बताया कि महिलाओं के सुरक्षा के लिए कई कानून बनाऐं गये हैं एवं कई योजना संचालित है उन्हीं में से एक सखी वन स्टाप सेंटर महिला हेल्प लाईन नं. 181 है। जिसमें सभी उम्र की महिला अपनी समस्याएं एवं सहयोग हेतु फोन कर सकती है। सभी प्रकार के समस्याओं को निराकरण एक ही छत के नीचे ‘‘सखी वन स्टाप सेंटर‘‘ में किया जाता है। वहां काउंसलिंग, चिकित्सा, विधिक सहायता, पुलिस सहयोग और आश्रय की सुविधा प्रदान की जाती है। सखी वन स्टाप सेंटर में कार्यरत समस्त अधिकारी, कर्मचारी महिला हैं।
कार्यक्रम में जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल, यूनिसेफ से जे.पी. वर्मा, संस्था के प्राचार्य विरेन्द्र जायसवाल, सखी वन स्टाप सेंटर से सुश्री साबरीन फातिमा, जिला बाल संरक्षण इकाई से पवन धीवर, संस्था के सभी शिक्षिकाएं, आस-पास के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, ग्रामीण महिलाएं एवं ग्रामीण व स्कूली बच्चे उपस्थित थे। कार्यक्रम में सवाल का जवाब देने वालों को पुस्तक एवं पेन से सम्मानित किया गया, साथ ही सवाल पूछने वालों को भी पुस्तक एवं पेन से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में कॉफी उत्साह देखने को मिला।