कोरबा: प्लास्टिक चांवल बना हितग्राहियों के गले का फ़ांस, हितग्राही सरकार को कोसने पर मजबूर…

कोरबा, साकेत वर्मा…✍

कोरबा। जिले के सरकारी राशन दुकानों में अनुपयुक्त राशन मिलने से हितग्राहियों में हड़कंप मचा हुआ है, यहाँ मिलने वाला राशन प्लास्टिक युक्त बताया जा रहा है जो खाने योग्य नही है। दरअसल जहां राज्य सरकार गरीब परिवारों को नित नई योजनाएं संचालित कर उन्हें राहत प्रदान करने में जुटी है, वहीं सरकार की सरकारी राशन दुकान में वितरण किया जा रहा राशन अनुपयुक्त साबित हो रहा हैं। अब ऐसे राशन के सेवन से हितग्राहियों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है। वहीं हितग्राही घटिया राशन को लेकर सरकार को कोसने पर मजबूर हैं।

दरअसल जिले के ब्लाक पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत रामपुर के सरकारी राशन दुकान में जो राशन हितग्राहियों को वितरण किया जा रहा है वह कही से भी उपयुक्त नजर नही आ रहा है, कुछ लोग इसे प्लास्टिक चावल भी बता रहे हैं। हितग्राही बताते हैं कि सरकारी सोसायटी से मिलने वाला चावल देखने मे ही अजीबोगरीब प्रतीत होता है और बनाते समय यह बेहद चिपचिपा व रबड़ की भांति नरम हो जाता है। इस चावल को खाने से पेट मे दर्द व स्वास्थ्य पर सीधा असर हो रहा है। वही कुछ हितग्राहियों की माने तो सोसायटी से मिलने वाला राशन ही उनका जीविकोपार्जन का स्रोत है अब भला ऐसे में यदि हितग्राही इस घटिया राशन का इस्तेमाल खाने में कर बीमार पड़ते हैं तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? यहाँ बड़ा सवाल यह है कि आखिर सोसायटी में घटिया चांवल आता कहा से है जबकि राज्य सरकार हितग्राहियों को उत्तम राशन प्रदान करने के लिए करोड़ो रूपये खर्च कर रही है। वही सोसायटी संचालक भी इस घटिया राशन वितरण का हिस्सा बन जाते हैं जबकि संचालको को इसके बारे में जरा भी अंदेशा नही हो पाता, इन्हें FCI गोदाम से जो राशन प्राप्त होता है ये उसे वितरण कर देते हैं। आखिरकार इसके पीछे वे कौन लोग हैं जो घटिया राशन सप्लाई कर गरीबो के निवाले में जहर खोल रहे हैं। वही सरकार की योजनाओं को पतीला लगाने के साथ सरकार की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।

सरकारी राशन दुकानों में घटिया राशन के पीछे एक बड़ी वजह राइस मिलरो को भी माना जा सकता है चुकी यहाँ से राशन सीधे FCI गोदाम पहुँचता है। अब इसमें राइसमिलरो की कितनी भूमिका है यह तो समझ से परे है लेकिन एक बात साफ जाहिर है अगर राइस मिल से घटिया राशन गोदाम पहुँचता है तो उसे किस आधार पर उपयुक्त ठहराया जाता है जो बड़ी आसानी से सरकारी दुकानों तक पहुँच जाते हैं। सूत्रों की माने तो इसके पीछे FCI गोदाम के कर्मचारियों की सीधी संलिप्तता है जो राइसमिलरो के घटिया राशन को पास कर मोटा कमीशन लेते हैं और हितग्राहियों तक घटिया राशन पहुचाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। अब ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों के कमीशनखोरी की वजह से गरीबो का निवाला जहर बन रहा है वही हितग्राही सरकार को कोसने पर मजबूर हैं।

ग्राम के सरपंच की माने तो इन्होंने बताया कि हमे भी घटिया राशन वितरण किये जाने की जानकारी मिली थी जिस पर हमने हितग्राहियों को आश्वासन दिया कि यदि वास्तव में सोसायटी में घटिया व प्लास्टिक युक्त चावल मिल रहा है तो इसकी जांच होनी चाहिए। यह FCI गोदाम के कर्मचारियों की गलती है जो बिना जांच किये राशन सोसायटी में भेज देते हैं।

ये आलम केवल ग्राम पंचायत रामपुर का ही नही है, पोड़ी ब्लाक के कई पंचायतो में हितग्राही अनुपयुक्त प्लास्टिक चावल को लेकर परेशान हैं। इनकी माने तो सोसायटी से मिलने वाला चावल बेहद घटिया किस्म व प्लास्टिक युक्त है जिसे खाने से कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो रही है। हितग्राहियों ने यहां तक बताया कि उन्हें राज्य के मुखिया पर पूरा भरोसा है जिन्होंने राज्य की जनता के हितों को ध्यान में रख कर कई योजनाओं को संचालित किया है। सोसायटी में घटिया राशन वितरण वाली बात प्रदेश के मुखिया के कानों तक पहुँची तो शायद हितग्राहियों के निवाले से खिलवाड़ करने वालों की खैर नही होगी।