अकरस जुताई से बढ़ेगी खेत की उर्वरा शक्ति, खरीफ फसल की तैयारी के लिए किसानों को अकरस जुताई की सलाह……

 

 

कोरबा

कृषि अधिकारियों ने जिले के किसानों को आगामी खरीफ मौसम के लिए ग्रीष्मकालीन अकरस जुताई करने की सलाह दी है। कृषि अधिकारियों ने बताया कि अकरस जुताई से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है। इससे फसल उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होती है। जिले में पिछले दिनों आंधी तुफान के साथ वर्षा हुई है जिन गांवों की खेतों के मिट्टी में हल चलाने लायक नमी है, वहां के सभी किसान इस नमी का लाभ उठाते हुए ग्रीष्मकालीन जुताई करें तथा जिन किसानों कीे खेत के मिट्टी में नमी हल चलाने लायक नहीं है, वे इन्तजार करें तथा जैसे हल चलाने हेतु पर्याप्त वर्षा होती है, खेतों की ग्रीष्म कालीन जुताई करें।

उपसंचालक कृषि अनिल शुक्ला ने बताया कि 7 से 8 जून तक मानसून आने की संभावना है। मौसम को देख बुवाई का कार्य किया जाएगा। कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों के पास उपलब्ध बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल एवं थीरम 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज से उपचारित कर बुआई करने की सलाह दी गई है। अकरस जुताई पूर्व घुरूवा में उपलब्ध गोबर की खाद प्रति एकड़ 20 क्विंटल. अनुसार खेत में डालने की सलाह दी गयी हैं। किसानों की सुविधा के लिए जिले के सभी सहकारी समितियों में खाद एवं बीज पर्याप्त मात्रा में भंडारित करा दिया गया है। जिससे किसानों को असुविधा न हो, खरीफ 2022 हेतु प्रमाणित बीजों की दरे प्रति क्विंटल, धान मोटा 2600 रू., धान पतला 2800 रू., धान सुगंधित 3100 रू., कोदो एवं रागी 4150 रू., अरहर 8100 रू., उड़द 9350 रू., मूंग 9500 रू., मूंगफली 7400 रू., तिल 14000 रू., रामतिल 8850 रू. एवं ढेंचा 6200 रू. निर्धारित कर दी गई है। खरीफ 2022 हेतु खाद की दरें नीम कोटड यूरिया 45 कि.ग्रा. बोरा 266.50 रू., डी.ए.पी. 50 कि.ग्रा. बोरा 1350 रू., एन.पी.के. 12ः32ः16 50 कि.ग्रा. 1470 रुपए एवं पोटाश 50 कि.ग्रा. बोरा 1700 रुपए निर्धारित की गई है। जिले में किसानों को खरीफ फसल के लिए खाद, बीज समेत अन्य कृषि आदानों के वितरण और खेती किसानी से संबंधित जानकारी दिये गये है। सम सामयिक सलाह देने हेतु अधिकारियों को फिल्ड भ्रमण के निर्देश दिये गये है।

कृषि अधिकारियों ने बताया कि अकरस जुताई से मिट्टी में हवा का संचार अच्छा होता है, जिससे सूक्ष्म जीवों की बढ़वार एवं गुणन तीव्रगति से होता है, फलस्वरूप पोषक तत्व की उपलब्धता बढ़ जाती है। मिट्टी का कटाव एवं वर्षा जल के बहाव की तीव्रता मिट्टी के भौतिक एवं रसायनिक दशा पर निर्भर करती है। ग्रीष्मकालीन जुताई करने से मिट्टी की जल अवशोषण क्षमता बढ़ जाती है एवं जल बहाव की अवस्था निर्मित नहीं होती, परिणामस्वरूप मिट्टी का कटाव नहीं हो पाता है एवं खेत का पानी खेत के मिट्टी में ही संग्रहित हो जाता है। कृषि अधिकारियों ने किसानों को अकरस जुताई के फायदे को ध्यान रखते हुए ज्यादा से ज्यादा ग्रीष्म कालीन जुताई करने की सलाह दी है ताकि मिट्टी के जैविक एवं रासायनिक दशा में सुधार हो तथा अच्छा से अच्छा फसल उत्पादन कर सकें।