चांदनी बिहारपुर क्षेत्र में तेंदूपत्ता तोड़ाई करने वाले जंगल का हजारों हरे-भरे तेदू पेड़ों की कर रहे हैं कटाई क्या रेंजर का है संरक्षण….

 

 

* काटे गए गुरु घासीदास दास राष्ट्रीय उद्यान पार्क परिक्षेत्र महुली एवं वन विभाग के हरे-भरे तेंदू के पेड़ कर रहे हैं कटाई.

शमरोज खान सूरजपुर

सूरजपुर,। सूरजपुर जिले के चांदनी बिहार पुर क्षेत्र के नेशनल पार्क के भी काट रहे जंगल में भी विशाल पेड़ ग्रामीणों ने कई हजार काट डाला है। पत्तों के लिए अभी भी सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीण तेंदू के पेड़ों को काट रहे हैं। जंगलों में जगह-जगह पेड़ों के ठूंठ से अवैध कटाई से जंगल को हुई क्षति का अनुमान लगाया जा सकता है। विशाल पेड़ों को गर्मी के मौसम में बार-बार बेमौसम बारिश होने के कारण इस साल तेंदूपत्ता उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। वनों में आए दिन लग रही आग ने बची कसर को पूरा कर दी है।

* आज भी हो रही है अवैध कटाई – तेंदूपत्ता का छोटे झाड़ खत्म हो जाने से तेंदूपत्ता के लिए ग्रामीण अभी तक पेड़ों को काट रहे हैं। लेकिन इस बार जंगल आग लग जाने से पत्तो का उत्पाद कम होने के कारण जून महीने में भी पत्तो की खरीदी हो रही है। छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश सीमा होने से पत्तो की लालच में लगातार हरे-भरे पेड़ों को काट रहे है। बिहारपुर, अन्तिकापुर कोल्हुआ महुली खोहीर रामगढ़ उमझर रसोकी बैजनपाठ लुल कछवारी जूडवनिया मोहरसोप चोगा करौटी बिहार पुर क्षेत्र के 1 दर्जन से अधिक इन गावों के बड़ी संख्या में ग्रामीण तेंदूपत्तो का संग्रहण करते हैं। वनों की दूरी अधिक होने के कारण ग्रामीण हरे-भरे पेड़ो को काट कर भारी मात्रा में में तेंदूपता एकत्र करते हैं। इस साल वनों में भीषण आग लगने के कारण तेंदू के पौधे झुलस गए हैं जिससे ग्रामीण के लिए पेड़ो को काट रहे है।

क्षेत्र के जंगलों में तेंदूपत्ता का विपुल उत्पादन होता है लेकिन अप्रैल एवं मई के प्रारंभ में कई बार बेमौसम बारिश होने के कारण तेंदूपत्ता की गुणवत्ता खराब होगी। क्षेत्र में 15 मई से तेंदूपत्ता की खरीदी एक-दो दिन के अंतराल में की जा रही है। छोटे-छोटे पौधों के पत्तों दानायुक्त एवं छोटे होने के कारण अनुपयोगी हो गए हैं लिहाजा ग्रामीण पत्तो के लिए जंगलों में स्थित तेंदू के हरे-भरे पेड़ों की बलि चढ़ा रहे हैं। ग्रामीण पूर्व में भी तेंदू के पेड़ों के पत्तो तोड़ते थे। ग्रामीण पत्तो के लिए पेड़ों की डालियां भी काटते थे लेकिन इस बार जंगल के छोटे पौधों से गुणवत्तायुक्त पत्तो उपलब्धनहीं होने के कारण ग्रामीण धड़ल्ले से तेंदू के विशाल पेड़ों की बलि चढ़ा रहे हैं। पत्तो के लिए ग्रामीणों ने गुरूघासी दास नेशनल पार्क के प्रतिबंधित जंगल तक को नहीं छोड़ा है तथा पार्क के हजारों हरे पेड़ों को काट डाला है। वन विभाग रामगढ़, रसोकी बैजनपाठ लुल कछवारी जूडवनिया मोहरसोप चोगा करौटी उमझर सहित आसपास के वनों में पेड़ों की ठूंठ एवं सूखी डालों से अवैध कटाई का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। क्षेत्रवासी ग्रामीणों द्वारा जंगल के लगभग 5 हजार से अधिक हरे पेड़ों को काटने का अनुमान लगा रहे हैं। गर्मी के मौसम में तेंदू के मीठे फल निकलते है जिसे ग्रामीण स्वयं खाने के साथ ही स्थानीय बाजारों में बेचते हैं। ग्रामीणों ने कछवारी जंगल में सर्वाधिक पेड़ों की बलि चढ़ाए हैं। इसके बारे में बिहारपुर रेंजर मेवालाल पटेल से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल बंद होने से उनका पक्ष नहीं रख पाया।