शिक्षा का दीप जलाने वाले शिक्षकों को लूटने में विभाग की भूमिका आई सामने, काउंसलिंग प्रक्रिया के बावजूद ठगे गए शिक्षक, भ्रष्टाचार का बड़ा खेल….

 

 

* माध्यमिक शाला प्रधानपाठक पदस्थापना में खेला गया करोड़ों का खेल।

* एक तरफ कनिष्ठ शिक्षकों की जेब पर डाका दूसरी तरफ वरिष्ठ शिक्षकों के साथ अन्याय।

* डेढ़ डेढ़ लाख की हुई एक शिक्षक से वसूली,शिक्षकों ने खुद लगाया काउंसलिंग में भ्रष्टाचार का आरोप।

* भ्रष्टाचार के कारण कई शिक्षकों ने पदोन्नति छोड़ी कइयों ने लिए दूसरे जिले और ब्लॉक में पदस्थापना।

शमरोज खान सूरजपुर

बैकुंठपुर।पूर्व माध्यमिक शालाओं में प्रधान पाठक पदोन्नति की प्रक्रिया काउंसलिग के बावजूद भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई जिसकी सुगबुगाहट सुनाई देने लगी और अब भ्रष्टाचार के कारण पदोन्नति प्रक्रिया में प्रभावित हुए शिक्षक आक्रोश में हैं और अपने ही विभाग के अधिकारियों पर वह आरोप लगा रहें हैं और खुद के साथ अन्याय की कहानी बयान कर न्याय की गुहार लगा रहें हैं।
पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों को प्रधान पाठक पद पर पदोन्नति मिलनी थी और पूर्व में यह पदोन्नति और पदस्थापना काउंसलिंग के बगैर की जानी थी जो भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए इसलिए काउंसलिंग की प्रकिया शासन ने तय की।
शासन की काउंसलिग प्रकिया को भी विभागीय अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया और शिक्षकों से जमकर पदस्थापना के नाम पर वसूली की गई जिसका खुलासा अब होने लगा और अब पदोन्नति में भ्रष्टाचार के कारण पदोन्नति से वंचित और पदोन्नति में दूसरे जिले या ब्लॉक में पदस्थापना प्राप्त किए शिक्षक लामबंद होकर विरोध में नजर आ रहें हैं और वह चुप रहने को तैयार नहीं हैं।

* निचले क्रम के शिक्षकों को मिली मनचाही पदस्थापना,ऊपर क्रम के शिक्षकों को नहीं मिली जिले और विकासखंड में पदस्थापना – पदोन्नति में पदस्थापना काउंसलिंग के माध्यम से की जाए इसके लिए स्वयं शिक्षा मंत्री ने विभाग को पत्र लिखा था जिससे पदस्थापना में भ्रष्टाचार न हो लेकिन विभाग के अधिकारियों ने इसमें भी भ्रष्टाचार का रास्ता ढूंढ निकाला और उन्होंने वरिष्ठता में निचले क्रम के शिक्षकों को मनचाही पदस्थापना प्रदान करने में उनकी मदद की वहीं इसके लिए उगाही भी की गई।
ऊपर क्रम के वरिष्ठता क्रम में शीर्ष पर आने वाले शिक्षकों को या तो मनचाही पदस्थापना नहीं मिलने पर पदोन्नति से इंकार करना पड़ा या उन्हे अन्य जिले और ब्लॉक में पदस्थापना लेनी पड़ी।
कुल मिलाकर जो जिस पद के लिए योग्य व वरिष्ठ था उसे वह पद प्रदान नहीं किया गया और जो निचले क्रम पर थे उन्हे वह पद प्रदान कर दिया गया जो साफ साफ भ्रष्टाचार का मामला है।

* विद्यालयों के नाम वरिष्ठ शिक्षकों की काउंसलिंग के समय छिपाए गए –  वरिष्ठता क्रम में ऊपर आने वाले शिक्षकों ने आरोप लगाया की काउंसलिंग के लिए उन्हे पूरे पद नहीं दिखाए गए और अधिकांश पदों को उजागर ही नहीं किया गया जबकि वही पद निचले क्रम के लोगों को मिल सके और उन्हे मनचाही पदस्थापना मिल सकी जो सीधा सीधा भ्रष्टाचार का मामला है।
शिक्षकों ने आरोप लगाया की वरिष्ठता सूची में उनका नाम ऊपर था और उन्होंने पैसा नहीं दिया इसलिए उन्हे पूरे पद पदस्थापना के लिए चुनने के लिए नहीं दिखाए गए और जिन्होंने पैसा दिया उन्हे बाद में वही पद दे दिए गए जबकि वह कनिष्ठ थे वरिष्ठता सूची में।
वरिष्ठ शिक्षकों का यह भी आरोप है की काउंसलिंग के पहले और काउंसलिंग के समय जो पद उन्हे दिखाए गए और दीवार में जो चस्पा किए गए उनमें अधिकांश रिक्त पद उन्हे नहीं दिखाए गए और शाम होते ही वह पद कनिष्ठ शिक्षकों से भर दिए गए जो की गलत है।

* शिक्षामंत्री के जिले में खेला गया पैसों का खेल,जिसे शिक्षा मंत्री रोकना चाहते थे आखिर वही हुआ – शिक्षामंत्री के जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जमकर खेला पैसों का खेल,जिस खेल को रोकने के लिए स्वयं शिक्षामंत्री ने विभाग विभाग को पत्र लिखा था और काउंसलिग की मांग की थी और विभाग ने भी काउंसलिंग की प्रकिया अपनाने आदेश दिया था उसी काउंसलिंग में विभागीय अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का रास्ता ढूंढ निकाला और शिक्षकों को लूटने कोई कसर नहीं छोड़ी।
अब शिक्षामंत्री की मंशा भले ही भ्रष्टाचार रोकने की रही हो लेकिन अधिकारियों ने उनकी मंशा पर भी पानी फेर दिया और भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया।

* दिव्यांग , गंभीर बीमार बताकर दिया गया कनिष्ठ को लाभ,इसी आधार पर हुआ भ्रष्टाचार – जिन शिक्षकों ने भ्रष्टाचार के रास्ते पदस्थापना चाही उन्हे दिव्यांग और गंभीर रूप से बीमार होने का प्रमाण पत्र स्वयं विभागीय अधिकारियों ने बांट दिया और उन्हे रास्ता बता दिया कि कैसे वह दिव्यांग बनकर गंभीर रूप से बीमार बनकर लाभ ले सकते हैं।
कनिष्ठ शिक्षकों ने भी पैसा देकर पद लेना उचित समझा और ठीक ठाक होकर भी दिव्यांग या गंभीर बीमारी का बहाना बनाया और मनचाही पदस्थापना लेने में दिमाग लगाया।

* दिव्यांगता और गंभीर बीमारी के प्रमाण पत्रों की हो यदि जांच खुलेगा बड़े भ्रष्टाचार का पोल – गंभीर बीमारी और दिव्यांगता प्रमाण पत्रों की यदि जांच की जायेगी तो यह पूरा भ्रष्टाचार उजागर हो सकेगा और पता चल सकेगा का कैसे एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।
अक्रोशित और काउंसलिंग प्रक्रिया से असंतुष्ट शिक्षकों ने आरोप सभी प्रमाण पत्रों के जांच की मांग भी की है और भ्रष्टाचार उजागर हो इसकी मांग की है।

* करोड़ों का खेला गया तीन दिनों में खेल – 1 लाख से डेढ़ लाख तक एक एक कनिष्ठ शिक्षक से वसूली की गई और यह पूरी वसूली वरिष्ठता सूची में कनिष्ठ शिक्षकों से की गई जिन्हे काउंसलिंग में बाद में बुलाकर मनचाही पोस्टिंग दे दी गई और जो वरिष्ठ थे वह ठगे देखते रह गए।
वरिष्ठ शिक्षकों का यह भी कहना है की उन्हे पता होता की काउंसलिंग में पैसे के बिना पोस्टिंग मिलना मुस्किल है तो वह भी अधिकारियों से संपर्क किए होते और लाभ प्राप्त किए होते,उन्हे इसका आभास बाद में हो सका।
पूरे काउंसलिंग के दौरान 3 से 4 करोड़ की वसूली हुई है यह शिक्षकों का आरोप है।

* शिक्षा का दीप जलाने वाले शिक्षकों को भी नहीं छोड़ा विभागीय अधिकारियों ने,वसूले करोड़ों – शिक्षा का दीप जलाने वाले शिक्षकों को भी विभागीय अधिकारियों ने नहीं छोड़ा और उन्ही से करोड़ों कमाने का रास्ता भ्रष्टाचार के सहारे ढूंढ निकाला।
अब इस भ्रष्टाचार के बाद समझा जा सकता है की विभागीय अधिकारी किस तरह मौका मिलते ही शिक्षकों को लूटने का अवसर नहीं छोड़ सके और करोड़ों की उगाही उन्होंने कर डाली,।
करोड़ों की शिक्षकों से वसूली के बाद एक बात और तय है की अब अधिकारी किस मुंह से शिक्षकों से गुणवत्ता की बात करेंगे और किस मुंह से उनपर कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही अनियमितता करने पर करेंगे।
कुल मिलाकर अब शिक्षक भी उन्हे पैसों की भाषा में बात करेंगे और पैसों से ही उनका मुंह बंद कर देंगे।