कटघोरा वनमंडल में कराए गए कार्यों का मजदूरी भुगतान पाने 03 वर्ष से चक्कर काट रहें ग्रामीण मजदूर, वनमंत्री के आगमन पर खोला मोर्च करेंगे जल सत्याग्रह…

• 200 मजदूरों का भुगतान लंबित

• वनमंत्री, पीसीसीएफ का दौरा कार्यक्रम बुका पर्यटन स्थल में..

कोरबा/कटघोरा :- मनमाने एवं भ्रष्ट्र कार्यों को लेकर प्रदेश में चर्चित कटघोरा वनमंडल अपने कार्यप्रणाली के चलते आए दिन विवादों से घिरा रहता है। जहां बोगस मजदूरी भुगतान पर लाखों- करोड़ों का घोटाला तो हुआ है परंतु वास्तविक मजदूरी के कार्य किए मजदूरों का असली भुगतान 03 साल बाद भी लटका हुआ है । जिसको लेकर मजदूर वनमंत्री एवं पीसीसीएफ के कटघोरा वनमंडल आगमन पर उनके सामने अपने लंबित भुगतान की मांग को लेकर जमकर प्रदर्शन करेंगे।

बता दें कि कटघोरा वन मंडल के जटगा वन परिक्षेत्र अंतर्गत डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण बाला से पचरा, सलीहा भाटा से बाला, गुमानी डांड से बाला , सिकटा पारा से अमावा तक गत 03 वर्ष पूर्व करवाया गया था। जिन कार्यों मे जटगा क्षेत्र के भोले-भाले आदिवासी गरीब मजदूरों को नियोजित किया गया था। इसके अलावा अन्य जगहों पर भी सड़क, स्टॉप डैम सहित अन्य निर्माण में भी मजदूरों से कार्य लिया गया था। जिन कार्यों का मजदूरी भुगतान पाने ग्रामीण मजदूर 3 साल से कटघोरा वनमंडल का चक्कर दर चक्कर काट रहे किन्तु उनका भुगतान नहीं किया जा सका है, और इस वनमंडल के शीर्ष से लेकर मातहम अधिकारी उन मजदूरों को भुगतान के नाम पर लगातार टाल मटोल करते आ रहे है। जिसके चलते मजदूरों में आक्रोश रहा है तथा आक्रोशित जटगा परिक्षेत्र के सारे ग्रामीण मजदूर 200 की संख्या में एतमा नगर के बुका में वनमंत्री के आगमन पर कुच करेंगे और उनके सामने आंदोलन करेंगे। विषय को लेकर मजदूरों का कहना है कि वनमंत्री व पीसीसीएफ के सामने बूका में जल सत्याग्रह किया जायेगा एवम लंबित भुगतान को तत्काल दिलाए जाने की मांग की जायेगी।

वर्तमान जटगा वन परिक्षेत्र अधिकारी भी अपने दायित्वों को लेकर संजीदा नही –

जटगा वन परिक्षेत्र में तो वैसे भारी- भरकम घोटाले हुए है, और जो भी इस रेंज में परिक्षेत्राधिकारी बतौर रहा शीर्ष अधिकारियों के मौन सहमति से मनमाने भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया। वर्तमान में यहां वन परिक्षेत्र अधिकारी मनीष सिंह है। जो भी अपने कार्यों के प्रति संजीदा नही है। सूत्र बताते है कि रेंजर मनीष सिंह के कार्य भी अन्य पदस्थ रहे रेंजरों की भांति मनमानी पूर्वक है। वहीं इनके द्वारा तत्कालीन रेंजर शहादत खान के कार्यकाल में हुए कार्यों का भुगतान भी रोक कर रखा गया है। इनकी भी कार्यशैली को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे है। लेकिन वनमंडलाधिकारी को वन परिक्षेत्रों में हो रहे मनमाने कार्यों से कोई मतलब नही। यही कारण है कि रेंजरों के हौसलों को उड़ान मिल गई है और भ्रष्ट्राचार चरम सीमा पर है।

✍️साकेत वर्मा /जिला प्रतिनिधि कोरबा