दो हजार रुपये के तय सामानों की बनी लिस्ट भेजी जा रही स्कूलों को खरीदने…….

जशपुर ✍️जितेन्द्र गुप्ता

आये दिन आ रही शिक्षा विभाग मे समानो की खरीदी बिक्री के नए नए मामलो के बीच अब जशपुर जिले के शिक्षा विभाग का नया खेल सामने आया है। हायर सेकेंडरी स्कूलों में जिले से भेजे जा रहे 2000, दो हजार रुपये के तय समान जिसमे सेनेटाइजर, मास्क, हैंडवाश, और साबुन के सामानों की बनी लिस्ट लिखी गई है। उसे स्कूलों में भेजा जा रहा है। अब स्कूलों को क्या जरूरत है। क्या नही ये भी तय करने लगे है। अन्य लोग जबकि शासन स्कूलों के खाते में इसलिए रकम भेजती है। कि स्कूलों की जरूरत के हिसाब से रकम स्कूलों में खर्च हो संके पर स्कूलों के खाते के रुपयों में नजरें गड़ाए लोग उन पैसों को लेकर मनमानी तौर पे जबरन सामान की खरीदारी करने दबाव बनाने में मशगूल है। हाल के दिनों में जिस तरह स्कूलों में सामान देने के नाम में स्कूलों को पैसे डालने काफी दबाव बनाया गया जिस बात के समाचार पत्र में प्रकाशन के बाद जिला कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल ने तत्काल स्कूलों को बिना जिला से लिये अनुमति के पेमेंट करने पे रोक लगाने आदेश देकर उनपे जांच कमेटी नियुक्त किये जो जांच कर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे। पर अभी वो मामले में जांच भी नही हो पाई है। और अब जिले के द्वारा 2000, रुपये के नए सामानों की लिस्ट स्कूलों में भेजी जा रही है। इससे ये समझने में आसानी होगी की जहाँ स्कूल का कार्य है। अच्छी शिक्षा देना और शिक्षा विभाग का कार्य है। कि स्कूलों की ब्यवस्था को बेहतर बनाये रखते हुए शिक्षा का स्तर को गुणवत्ता पूर्वक रखने कार्य करें जो वर्तमान में जशपुर का शिक्षा विभाग करता दिख नही रहा और बस चल रहा है। या बोलिये चलाया जा रहा है। सामान खरीदवाने और पेमेंट करवाने का खेल अब इस सब के पीछे कौन है। किसके सह पे ये सब हो रहा है। ये जांच से ही सामने आ सकता है। उन स्कूलों के एचएम ने नाम न छापने कि शर्त पर बताया कि आज कल स्कूलों में पढ़ाई के लिए कम और सामानों की खरीदी बिक्री के लिए ज्यादा दबाव बनाया जा रहा है।
आप स्कूलों की हकीकत से जब वाकिफ होंगे तो देखेंगे शिक्षा का बुरा हाल है। कहि स्कूलों में शिक्षक नही कहि स्कूल बंद तो जहाँ शिक्षक है। वहाँ के स्कूल का शिक्षा का स्तर सामान्य से भी कम कहि कहि पाचवी से छटवी तक के स्कूली बच्चे ये तक नही बता पा रहे कि आज कौन सा दिन है। इन जैसे सवाल के लिए भी बच्चे चुप होकर सोचते दिखते है। अब आप समझिए कि स्कूलों की पढ़ाई का स्तर क्या है। जबकि शासन करोड़ो रुपये हर महोने खर्च कर रही है। कि गाँव के नोनिहाल अच्छी शिक्षा पाए और गाँव से लेकर राज्य और देश की दिशा तय कर अपना और अपने परिवार का भविष्य बेहतर बना सकें।

जिला से 2000, रुपए की समान खरीदी के संदर्भ में जशपुर डीएमसी नरेंद्र सिन्हा ने बताया कि सीमार्ट को मजबूती प्रदान करने की मंशा है। स्कूलों को जो जरूरत का सामान दुकान से खरीदना हो वो सीमार्ट से खरीदे जिससे ये समूह मजबूत हो संके इन सामानों को खरीदना जरूरी ही है। एसा कोई आदेश जिले से नही दिया गया है। रही बात शिक्षा के स्तर का इसके लिए स्थानीय स्तर पर अधिकारियों को इन बातों पे गौर करना चाहिए जो बिल्कुल सही है। कि शिक्षा का स्तर को सुधारने सभी प्रयास किये जाने चाहिए। शिक्षा के गिरते स्तर की बात जो आपके द्वारा बताया गया है। उस पर स्थानीय अधिकारियों से बात कर उच्च अधिकारियों तक जानकारी देकर बेहतर शिक्षा ब्यवस्था बनाने की हर सम्भव कोशिश की जाएगी।