सिविल अस्पताल में मरीजो को मिलने वाले जरूरी समानों का भारी अभाव वही एम्बुलेंस आने पर पहले सैकड़ो मोटरसाइकिल को हटाना होगा फिर एम्बुलेंस अस्पताल पहुचेगी…

पत्थलगांव ✍️जितेन्द्र गुप्ता

पत्थलगांव सिविल अस्पताल में मरीजो को मिलने वाले जरूरी समानों का अभाव

आपको बता दे कि पत्थलगांव में मौजूद सिविल अस्पताल में इस तरह अब्यवस्था है। कि मरीजो को अस्पताल में चादर तक घर से लेकर आना पड़ रहा है। बीते कई वर्षों से सिविल अस्पताल की हालत बेहतर करने की कवायद तो हुई पर आज भी जमीनी हकीकत एकदम खराब अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजो के लिए बेडसीट तक नही दिया जा रहा है।

जबकि अस्पताल में मरीजो को साफ सुथरा बेडसीट उपलब्ध कराना अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है। शनिवार को अस्पताल आये मरीज ने बेड के लिए बेडसीट की मांग की तो ये कहते हुए मना कर दिया गया कि अस्पताल में बेडसीट उपलब्ध नही है। जहाँ एक और सिविल अस्पताल के विशाल रूप को देख कर दूर दराज के लोग उसकी भब्यता से आनन्दित होकर अस्पताल पहुचते तो है। पर अस्पताल की अब्यवस्था को देख कर उन सभी को ये अंदाजा होता है। की बाहर से विशाल रूप में बना सिविल अस्पताल मे मरीजो के लिए जरूरी समान तक उपलब्ध नही है। जो बड़ा दिखता है जरूरी नही की वो अंदर से भी बड़ा और अच्छा हो और फिर उन्हें सरकारी अस्पताल का मतलब समझ मे आ जाता है।

?सिविल अस्पताल मेन गेट के दोनों तरफ भारी संख्या में खड़े मोटरसाइकिल

सिविल अस्पताल के मेन गेट के दोनों तरफ खड़ी रहती है। सैकड़ो मोटरसाइकिल इमरजेंसी का हालत में एम्बुलेंस तक गेट तक नही पहुच सकता  मेन गेट के दोनों  तरफ खड़ी रहती है सेकड़ो मोटरसाइकिल पहले तो गेट के दोनों तरफ किसी को अपनी मोटरसाइकिल खड़ी ही नही करनी चाहिए उन्हें ये समझना चाहिए कि एम्बुलेंस गेट तक कैसे पहुचेगा बाकी अस्पताल प्रशासन को इससे कोई सरोकार ही नही

?अस्पताल में डियूटी नर्स मोबाइल में ब्यस्त

आपको बता दे कि दो दिन पहले ही अस्पताल में लाये अपने मित्र की तबियत खराब पर डॉक्टर नर्स के द्वारा मरीज को ड्रीप लगा तो दिया गया पर उस ड्रिप को निकालने की फुर्सत तक डियूटी डॉक्टर और नर्स को नही रही जिस पर काफी देर तक डॉक्टर और स्टाफ नर्स के साथ काफी देर तक हो हल्ला होता रहा इस दौरान डियूटी में मौजूद नर्स मोबाइल में इतना बिजी रही कि उन्होंने मरीजो के परिजनों को यहां से जाने तक कह दिया था अब आप सोचिए कि अस्पताल आना कौन चाहता है। पर जब अस्पताल आना पड़ता है। तब सरकारी कर्मचारियों के द्वारा पहले तो अपनी जिम्मेदारी नही निभाई जाती फिर उन मरीजो और उनके परिजनों के साथ इस तरह का ब्यवहार करते है। कि जैसे अस्पताल आने वाले लोग खुशी मनाने अस्पताल पहुचे हो। ज्यादातर नर्स मोबाइल में इतना ब्यस्त रहते है। कि मरीज और परिजनों की बात तक ये नही सुनते।

?लेबर वार्ड गेट के तरफ की तस्वीर अब इमरजेंसी में मरीजो को अस्पताल के अंदर कैसे लेजाएँगे आप खुद समझिये

क्या इसी तरह सरकारी अस्पताल में अब्यवस्था हावी रहेगा या इनमें कुछ सुधार करते हुए मरीजो को बेहतर स्वास्थ्य लाभ से लेकर अस्पताल से मिलने वाली सुविधाओं में कुछ इजाफा होगा।